वर्ल्ड इकोनामिक फोरम ने गलत सूचना देने के मामले में भारत को नंबर 1 की रैंकिंग दी है। इसके बाद ही यह मंच अब आलोचकों के निशाने पर आ गया है। डब्ल्यूईएफ ने गलत ग्राफिक्स भी प्रकाशित किए हैं। 

World Economic Forum. वर्ल्ड इकोनामिक फोरम ने गलत सूचना देने के मामले में भारत को नंबर 1 की रैंकिंग दी है। इसके बाद ही यह मंच अब आलोचकों के निशाने पर आ गया है। डब्ल्यूईएफ ने गलत ग्राफिक्स भी प्रकाशित किए हैं। यह रिपोर्ट 1,490 विशेषज्ञों की पर आधारित है, जिसने भारत में चिंताएं बढ़ा दी हैं। भ्रामक सूचना की वजह से देश के लोगों में असंतोष बढ़ गया है और इस रिपोर्ट की जमकर आलोचना की जा रही है।

क्या कहती है WEF रिपोर्ट

विश्व आर्थिक फोरम (WEF) की यह रिपोर्ट दुनिया भर में चुनावों के दौरान गलत सूचना और दुष्प्रचार के बढ़ते खतरे पर प्रकाश डालती है। रिपोर्ट में जानबूझकर झूठी जानकारी फैलाने और भ्रामक सामग्री के प्रचार-प्रसार को दर्शाया गया है। भारत के लिए कई जोखिमों की चर्चा रिपोर्ट में की गई है। इसमें साइबर सुरक्षा, प्रदूषण, बेरोजगारी, आतंकवादी हमले, संक्रामक रोग, अवैध आर्थिक गतिविधि, धन की असमानता और श्रम की कमी जैसे 34 अन्य चुनौतियों को सामने रखा गया है लेकिन भ्रामक सूचनाओं को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है।

 

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अगले दो वर्षों में क्या हो सकता है

WEF 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले 2 वर्षों में यह सबसे गंभीर वैश्विक जोखिम होगा। विदेशी और घरेलू लोग इन गलत सूचनाओं और दुष्प्रचार के जरिए सामाजिक और राजनीतिक विभाजन करने में सफल हो सकते हैं। यह भी कहा गया है कि अगले 2 साल की अवधि में बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, पाकिस्तान, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका सहित कई देशों के करीब 3 अरब लोग चुनावी गतिविधियों में भाग लेंगे। इसलिए गलत सूचना का व्यापक उपयोग और दुष्प्रचार की वजह से नवनिर्वाचित सरकारों की वैधता कम हो सकती है।

 

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तकनीकी की वजह से तेज प्रचार

रिपोर्ट के अनुसार हालिया तकनीकी प्रगति ने सूचनाओं में हेरफेर के नए युग की शुरुआत की है। जहां झूठी जानकारी की मात्रा, पहुंच और प्रभावशीलता में अभूतपूर्व तेजी देखी गई है। विभिन्न प्लेटफार्मों खासकर सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार कैंपेन इसका उदाहरण हैं। इन पर नजर रखना, कंट्रोल करने और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।

 

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भारत में क्यों की जा रही है आलोचना

गलत सूचना और दुष्प्रचार के जोखिम की सूची में भारत को टॉप पर रखने वाली WEF रैंकिंग को भारतीय जनता द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है। कई लोगों ने इस संदेह जताया है। यूजर्स ने सोशल मीडिया पर लिखा कि डब्ल्यूईएफ भारत को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ता है। सोशल मीडिया पर इस तरह की बातें शेयर करना हमारी संप्रभुता और हमारे देश की अस्मिता सहित देशवासियों का अपमान है। 

 

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एक दूसरे यूजर ने लिखा कि हम जानते हैं कि WEF का क्या मतलब है। यह दुष्प्रचार और गुमराह करने की जननी है। अनिर्वाचित अमीरों के कुछ समूहों द्वारा दुनिया को गुमराह किया जा रहा है। एक यूजर ने लिखा कि डब्ल्यूईएफ तय करता है कि क्या गलत सूचना है और क्या नहीं। मुझे यकीन है कि यह एक तरह का मजाक है। एक अन्य यूजर ने लिखा कि WEF को गलत सूचना दी गई है।

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