ओडिशा में एक चोर ने भगवद् गीता पढ़कर 9 साल पहले मंदिर से चुराए गहने वापस कर दिए। गीता पढ़ने के बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने प्रायश्चित किया।

भगवद् गीता पढ़कर न जाने कितने लोगों का हृदय परिवर्तन हुआ है, निराशा में डूबे लोगों ने फिर से जीने की राह पाई है, जीवन का असली मतलब समझा है, और गलत रास्ते पर चलकर अपनी पहचान खो चुके लोग सही रास्ते पर लौटे हैं। ये है पवित्र ग्रंथ भगवद् गीता की ताकत। अब एक चोर ने इसे पढ़कर न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी बदली है, बल्कि श्रीकृष्ण के मंदिर से चुराए लाखों के गहने 9 साल बाद वापस भी कर दिए हैं।

ये घटना ओडिशा के जगतसिंहपुर ज़िले के तिरिया गाँव के गोपीनाथ मंदिर की है। 2015 में यहाँ से कई चाँदी के गहने चोरी हो गए थे। कितना भी ढूंढा पर कुछ पता नहीं चला। 2015 में यज्ञशाला में यज्ञ के दौरान ये गहने कृष्ण को पहनाए गए थे, तभी ये चोरी हो गए। चोर को तब से चैन नहीं था। उसने गहने पैसे के लिए चुराए थे, लेकिन बेचे नहीं। वो गहने वैसे ही रखे रहे। उसे बार-बार बुरे सपने आते थे। गहने चुराने के बाद से उसकी ज़िंदगी दुखों से भर गई। हर तरफ़ से परेशानियां घेरने लगीं।

एक बार उसे सपने में भगवद् गीता दिखाई दी। ऐसा बार-बार हुआ तो उसे गीता पढ़ने की इच्छा हुई। उसने गीता खरीदी और पढ़ी। तब उसे ज़िंदगी का असली मतलब समझ आया। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। उसे लगा कि पैसे की ज़रूरत होने पर भी चोरी करना गलत था। उसका मन उसे बता रहा था कि ये गलत है, इसीलिए उसे परेशानियां हो रही हैं। गीता से उसे समझ आया कि उसने ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती की है। इसलिए उसने गहने वापस करने का फैसला किया।
 

आखिरकार उसने अपनी पूरी कहानी एक चिट्ठी में लिखी और सारे गहने मंदिर के दरवाज़े पर रख आया। उसने लिखा कि उसे अपनी गलती का पछतावा है और वो गहने वापस कर रहा है। मंदिर प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस ने केस फिर से खोल दिया। पुलिस के मुताबिक, चोर ने कृष्ण का मुकुट, झुमके, कंगन और बाँसुरी रखने वाला बैग मंदिर के दरवाज़े पर रखा और प्रायश्चित के तौर पर 300 रुपये भी रखे। चोरी हुए चाँदी के गहने वापस मिलने से स्थानीय लोगों की आस्था और बढ़ गई। कुछ लोग इसे भगवान का चमत्कार मान रहे हैं।