सार

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, एनएमसीजी ने यमुना नदी की अविरलता को बनाये रखने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी, रूड़की को नदी के ‘ई..फ्लो’ का अध्ययन करने को कहा है। जिससे फसलों के संबंध में पानी के प्रभावी उपयोग का विषय तय किया जा सके ।
 

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, एनएमसीजी ने यमुना नदी की अविरलता बनाये रखने और इसके तट पर स्थित राज्यों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी, रूड़की को नदी के ‘ई..फ्लो’ का अध्ययन करने को कहा है। इसकी अंतरिम रिपोर्ट दिसंबर तक प्राप्त होने की उम्मीद है।

 

दिसंबर तक अंतरिम रिपोर्ट

एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) डी पी मथुरिया ने ‘‘भाषा’’ को बताया, ‘‘ यमुना नदी में पानी की निरंतरता बनाये रखना और इसका ई..फ्लो (पर्यावरण प्रवाह) सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। इस उद्देश्य के लिये नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी, रूड़की (एनआईएच) को यमुना के ई..फ्लो के अध्ययन का दायित्व सौंपा गया है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ एनआईएच को नदी के जल प्रवाह से संबंधित आंकड़े उपलब्ध करा दिये गए हैं। हमें उम्मीद है कि दिसंबर तक इसकी अंतरिम रिपोर्ट प्राप्त हो जायेगी।’’ गौरतलब है कि ई-फ्लो के तहत किसी भी नदी में एक निश्चित मात्रा में जल स्तर को कायम रखा जाता है ताकि नदी की पारिस्थितिकी को बरकरार रखा जा सके।

पांच राज्यों के बीच का समझौता

मथुरिया ने बताया कि एनआईएच को जिन विषयों पर अध्ययन करने को कहा गया है, उनमें पहला उसे यह बताना है कि नदी की अपनी जरूरत क्या है? इसके अलावा 1994 में पानी के बंटवारे के संबंध में पांच राज्यों के बीच जो समझौता हुआ था, उसके तहत हर राज्य को आवंटित पानी की मात्रा के अनुरूप सहमति बनाकर किस प्रकार पानी प्रवाहित किया जा सकता है ?

उन्होंने कहा कि एनआईएच को पानी के मांग संबंधी पक्ष (डिमांड साइड) का अध्ययन करने को भी कहा गया है ताकि फसलों के संबंध में पानी के प्रभावी उपयोग का विषय तय किया जा सके ।

 

पानी की समस्या मुद्दा 

एनएमसीजी के अधिकारियों ने बताया कि यमुना पर पानी के भंडारण के लिए कोई परियोजना नहीं है जिससे बारिश का पानी प्रवाहित हो जाता है। केवल हथनीकुंड बराज पर नहर है हालांकि गर्मियों में दिल्ली में पानी की समस्या एक प्रमुख मुद्दा रहता है । ऐसे में यमुना में पानी की उपलब्धता एवं निरंतरता एक अहम विषय है ।

उन्होंने बताया कि 1994 में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान सहित पांच राज्यों ने यमुना के पानी के संबंध में मुख्यमंत्री स्तर पर एक समझौता किया था जिसमें हर राज्य को जरूरत के हिसाब से पानी के बंटवारे की बात की गयी थी ।

अधिकारियों ने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हाइड्रोलॉजी, रूड़की इन सभी विषयों पर विचार करके अध्ययन कर रहा है ।


(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)