सार
देश में कोरोना संकट के बीच कई ऐसे लोग सामने आए जिन्होंने अपने जान की परवाह न करते हुए लोगों की मदद की और उन्हें इस भीषण महामारी से बचाया। ऐसे ही एक कोरोना फाइटर हैं चेन्नई के डॉ संकेत मेहता। उन्होंने महामारी से संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए अपना जीवन खतरे में डाल दिया।
चेन्नई. देश में कोरोना संकट के बीच कई ऐसे लोग सामने आए जिन्होंने अपने जान की परवाह न करते हुए लोगों की मदद की और उन्हें इस भीषण महामारी से बचाया। ऐसे ही एक कोरोना फाइटर हैं चेन्नई के डॉ संकेत मेहता। उन्होंने महामारी से संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए अपना जीवन खतरे में डाल दिया। कोविड-19 के मरीजों का इलाज करते हुए वे खुद ही कोरोना की चपेट में आ गए। जिसके बाद उनकी हालत बेहद गंभीर हो गई थी। हालांकि अब वे खतरे से बाहर हैं। ICU में भर्ती रहने के दौरान उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर एक बुजुर्ग की जान बचाई थी।
दरअसल, जिस दौरान डॉ. मेहता को आईसीयू में भर्ती कराया गया था उस दौरान उसी हॉस्पिटल में भर्ती 70 वर्षीय बजुर्ग दिनेश पुराणी की स्थिति बेहद नाजुक थी। उन्हें भी वेंटिलेटर की जरूरत थी। तब डॉ मेहता ने अपना ऑक्सीजन सपोर्ट बुजुर्ग मरीज को दे दिया। ऐसी स्थिति में कोरोना से जूझ रहे डॉक्टर के साथ कोई अप्रिय घटना हो सकती थी। लेकिन उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने कर्तव्य का पालन किया।
फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था
हालांकि बाद में डॉक्टर मेहता की हालत बिगड़ गई, उन्हें इलाज के लिए सूरत से एयरलिफ्ट कर चेन्नई के एमजी अस्पताल लाया गया। अब उनकी हालत में सुधार आ रहा है। इस दौरान डॉक्टर को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। उनके फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया और सांस लेने में भी दिक्कतें आईं। उनकी शरीर ने मूवमेंट करना बंद कर दिया था तब ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि शायद डॉक्टर के फेफड़ों को ट्रांसप्लांट करना पड़े। लेकिन एमजी हॉस्पिटल के डॉक्टर ने कहा है कि अब उनकी हालत में सुधार है और वे खतरे से बाहर हैं।
मंगलवार को अस्पताल के डॉक्टर ने बयान जारी कर रहा कि डॉक्टर संकेत को ECMO सपोर्ट से हटा दिया गया है क्योंकि उनके 40 फीसदी फेफड़ों ने अब ऑक्सीजन लेना शुरू कर किया है। फिलहाल वह गहन फिजियोथेरेपी के दौर से गुजर रहे हैं और उनकी मांसपेशियों की शक्ति धीरे-धीरे बढ़ रही है जबकि ब्लड पैरामीटर सामान्य रेंज में आ गया है।