सार
जावड़ेकर ने बुधवार को हिम तेंदुआ दिवस के मौके पर बफीर्ले पर्वतीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले इस तेंदुये के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये वैश्विक स्तर पर साझा कार्यक्रम (जीएसएलईपी) की शुरुआत करते हुये कहा, ‘‘20 साल पहले बाघ की गणना करना एक कठिन काम माना जाता था,
नई दिल्ली. पयार्वरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने देश में बाघों की संख्या में इजाफे के लिये बाघ संरक्षण अभियान की सफलता की तर्ज पर हिम तेंदुओं की संख्या बढ़ाने के लिये नेपाल, मंगोलिया औेर रूस सहित अन्य देशों के साथ मिल कर शुरु किये गये अभियान के तहत, अगले एक दशक में इस प्राणी की संख्या दो गुना तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
अगले दस सालों में दोगुनी होगी हिम तेंदुओं की संख्या
जावड़ेकर ने बुधवार को हिम तेंदुआ दिवस के मौके पर बफीर्ले पर्वतीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले इस तेंदुये के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये वैश्विक स्तर पर साझा कार्यक्रम (जीएसएलईपी) की शुरुआत करते हुये कहा, ‘‘20 साल पहले बाघ की गणना करना एक कठिन काम माना जाता था, लेकिन भारत ने इसे संभव कर दिखाते हुये देश में प्रत्येक बाघ को गणना में शामिल कर लिया है। इस साल भारत में बाघों की संख्या 2976 हो गयी है। यह दुनिया में बाघों की कुल आबादी का 77 प्रतिशत है।’’ उन्होंने कहा कि हिम तेंदुआ पाये जाने वाले क्षेत्रों में शामिल भारत, नेपाल, रूस, मंगोलिया और किर्गिस्तान सहित अन्य देशों की साझा पहल पर हिम तेंदुओं की गणना के लिये प्रोटोकॉल को शुरु किया गया है। जावड़ेकर ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि बाघ संरक्षण की तर्ज पर ‘स्नो लेपर्ड रेंज’ के हम सभी सहयोगी देश मिलकर अगले एक दशक में हिम तेंदुओं की संख्या को दो गुना करने में सफल होंगे।’’
उल्लेखनीय है कि चीन और मंगोलिया क्षेत्र में सर्वाधिक हिम तेंदुये पाये जाते हैं। भारत में हिमालय क्षेत्र के चार राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और केन्द्र शासित क्षेत्र जम्मू एवं लद्दाख में हिम तेंदुओं की संख्या 400 से 700 के बीच है। जावड़ेकर ने इनकी गणना के महत्व का जिक्र करते हुये कहा कि जीव जंतुओं की वास्तविक संख्या का पता चलने पर इसमें बढ़ोतरी की स्वत:स्फूर्त लालसा मन में पैदा होती है। बाघों की संख्या को दो गुना करने में भी यही सोच मददगार बनी।
उन्होंने इसी तर्ज पर हिम तेंदुओं के संरक्षण की दिशा में इनकी वास्तविक संख्या का पता करने को पहला और अनिवार्य कदम बताया।
जावड़ेकर ने हिमालय क्षेत्र के प्राकृतिक पर्यावास को बेहतर बनाने में हिम तेंदुओं की अहम भूमिका का जिक्र करते हुये कहा कि हिम तेंदुआ संरक्षण कार्यक्रम की दो दिवसीय बैठक में इससे जुड़े सभी पहलुओं पर आधारित प्रोटोकॉल को लागू करने की कार्ययोजना तय की जायेगी।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)