शैक्षणिक संस्थानों छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटना को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिशा निर्देश दिए हैं। छात्रों के साथ भेदभाव नहीं करने, उनकी मानसिक सेहत पर नजर रखने और सहायता करने के लिए कहा गया है।

Student Suicides: ओडिशा से राजस्थान तक छात्र देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने की जगह मौत को गले लगा रहे हैं। छात्रों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 15 दिशानिर्देश जारी किए। इनमें स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर, यूनिवर्सिटी, ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और छात्रावास शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पढ़ाई से जुड़े तनाव, परीक्षा के दबाव और संस्थागत सहायता की कमी के कारण कई छात्र आत्महत्या कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की 9 खास बातें

1- सभी शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्य मानसिक स्वास्थ्य परामर्श, काम करने वाली शिकायत निवारण प्रणाली और नियामक निगरानी जैसे इंतजाम होने चाहिए।

2- छात्रों की सहायता के लिए मार्गदर्शकों या परामर्शदाताओं को नियुक्त किया जाए। वे परीक्षा और शैक्षणिक बदलावों के दौरान छात्रों की सहायता करें।

3- शैक्षणिक संस्थानों के सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को साल में कम से कम दो बार अनिवार्य मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण लेना होगा। यह ट्रेनिंग प्रमाणित मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा दी जाए।

4- ट्रेनिंग में बताया जाएगा कि छात्रों को होने वाली मनोवैज्ञानिक परेशानी का कैसे समाधान करें। कोई छात्र संकट में है इसकी पहचान कैसे करें। किसी को खुद का नुकसान करने से कैसे रोकें।

5- शैक्षणिक संस्थानों को तय करना होगा कि उसके कर्मचारी छात्रों के साथ भेदभाव नहीं करें।

6- शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारी कमजोर और हाशिए पर पड़े समुदायों के छात्रों के साथ संवेदनशीलता से जुड़ें।

7- संस्थानों को यौन उत्पीड़न, रैगिंग और अन्य शिकायतों से निपटने तथा प्रभावित छात्रों को मनोवैज्ञानिक-सामाजिक सहायता देने के लिए आंतरिक समिति स्थापित करनी होगी।

8- छात्रों के माता-पिता को जागरूक बनाने के लिए कार्यक्रम चलाएं। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दें। बताएं कि पढ़ाई के तनाव से निपटने में वे कैसे अपने बच्चों की मदद कर सकते हैं। कैसे छात्रों के साथ जुड़ सकते हैं।

9- शिक्षण संस्थान छात्रों के गुमनाम स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाएं।

10- टेली-मानस और अन्य राष्ट्रीय सेवाओं सहित आत्महत्या हेल्पलाइन नंबरों को छात्रावासों, कक्षाओं, सामान्य क्षेत्रों और वेबसाइटों पर बड़े अक्षरों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाए।