नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नए संसद भवन का उद्घाटन (New Parliament Building Inauguration) प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने के खिलाफ लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने याचिका लगाने वाले वकील को फटकार लगाई है। याचिका में प्रधानमंत्री की जगह राष्ट्रपति से नई संसद का उद्घाटन कराए जाने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने कहा कि हमें मालूम है कि याचिका क्यों दाखिल की गई है। गनीमत है कि हम याचिकाकर्ता पर जुर्माना नहीं लगा रहे हैं। जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने लगाई थी। कोर्ट ने जया सुकिन ने पूछा कि आपका इस मामले से क्या लेना देना है। सुकिन सही जवाब नहीं दे पाए तो कोर्ट ने कहा कि आगे ऐसी याचिका लगाई तो हम फाइन लगा सकते हैं।
कोर्ट के रुख को देखते हुए वकील ने अपनी याचिका को वापस लेने की गुहार लगाई, लेकिन कोर्ट ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं की। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इसमें जनहित का क्या मामला है? आपके मूल अधिकारों का कैसे हनन हुआ है? वकील इन सवालों के जवाब नहीं दे पाए।
वकील सीआर जया सुकिन ने की थी राष्ट्रपति से संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग
वकील सीआर जया सुकिन अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह लोकसभा सचिवालय और केंद्र सरकार को निर्देश दे कि राष्ट्रपति द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन किया जाए। सुकिन ने कहा कि उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया गया है।
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जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा था कि संसद भारत की सर्वोच्च विधायी संस्था है। संसद राष्ट्रपति और लोकसभा व राज्यसभा से मिलकर बनती है। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन का सत्र बुलाने और उसे स्थगित करने की शक्ति है। राष्ट्रपति के पास संसद और लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति को नहीं बुलाना उचित नहीं है।
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गौरतलब है कि 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। कांग्रेस समेत 20 विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। विपक्ष की मांग है कि संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाए।