सार
भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने जजों को बदनाम करने के सरकारी प्रचलन की सुनवाई के दौरान आलोचना की है। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
नई दिल्ली। अपनी बेबाक विचारों के लिए फेमस सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना (CJI NV Ramana) ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजकल कोर्ट का फैसला पसंद नहीं आने पर सरकार द्वारा ही जजों को बदनाम करने में देर नहीं की जा रही है। इस तरह का चलन सही नहीं है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार और एक कार्यकर्ता द्वारा दायर दो अलग-अलग अपीलों पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। कोर्ट एक पूर्व आईएएस अधिकारी के खिलाफ कथित तौर पर ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रहा था।
क्या कहा मुख्य न्यायाधीश NV Ramana ने?
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी (Justice Krishana Murari) और न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की पीठ इस मामले में न्यायपालिका के खिलाफ लगाए गए कुछ आरोपों पर भी उलझी रही। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "आप जो भी लड़ाई लड़ें, वह ठीक है। लेकिन अदालतों को बदनाम करने की कोशिश न करें। मैं इस अदालत में भी देख रहा हूं, यह एक नया चलन है।"
दो अपीलों में से एक में राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि वह "उस बिंदु" पर बिल्कुल भी दबाव नहीं डाल रहे थे।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा "पहले केवल निजी पार्टियां जजों के खिलाफ ऐसा करती थीं। अब हम इसे हर दिन देखते हैं ... आप एक वरिष्ठ वकील हैं, आपने इसे हमसे ज्यादा देखा है। यह एक नया चलन है। सरकार ने जजों को बदनाम करना शुरू कर दिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।” पीठ ने सरकार पर अपनी टिप्पणी के बाद सुनवाई 18 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी।
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