सार
केरल के किलिकोलूर पुलिस स्टेशन में सेना के एक जवान और उसके भाई को कथित हिरासत में प्रताड़ित करने के चौंकाने वाले मामले में 4 पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। यह मामला राजनीतिक स्तर पर तूल पकड़ गया है।
किलकोलूर( Kilikolloor). केरल के किलिकोलूर पुलिस स्टेशन में सेना के एक जवान और उसके भाई को कथित हिरासत में प्रताड़ित करने के चौंकाने वाले मामले में 4 पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। DGP के निर्देश पर दक्षिण क्षेत्र के DIG आर निशांतिनी ने इस संबंध में कोल्लम शहर के पुलिस कमिश्नर मेरिन जोसेफ से रिपोर्ट तलब की है। दरअसल, DGP ने मामले में कथित आरोपों का सामना कर रहे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई गंभीर कार्रवाई नहीं किए जाने के आरोपों के बाद इस घटना में हस्तक्षेप किया। शुरुआती जांच के बाद तीन पुलिसकर्मियों-SI अनीश और CPO प्रकाश चंद्रन और वीआर दिलीप को ट्रांसफर कर दिया था, लेकिन अन्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
25 अगस्त की शुरू हुई थी ये चौंकाने वाली घटना
1. ड्रग्स का झूठा आरोप:यह घटना 25 अगस्त की बताई जा रही है। शुरुआती जांच के अनुसार, विष्णु और विग्नेश नाम दो भाइयों पर कुछ पुलिस अधिकारियों ने ड्रग मामले में झूठा आरोप लगाया। इसके बाद उन्हें पकड़कर थाने लाया गया। वहां लॉकअप में दोनों को बेरहमी से पीटा गया।
2. ये हुए सस्पेंड: इस मामले में DGP के एक्शन के बाद किलिकोलूर पुलिस स्टेशन के SHO सर्कल इंस्पेक्टर विनोद के, सब-इंस्पेक्टर अनीश, एएसआई प्रकाश चंद्रन और सिविल पुलिस अधिकारी मणिकंदन पिल्लई को सस्पेंड कर दिया गया है।
3. ऐसे रची गई साजिश: 25 अगस्त को कोल्लम के पेरूर के मूल निवासी विग्नेश को करीकोड जंक्शन में MDMA ड्रग मामले में पकड़े गए एक तस्कर की जमानत लेने का दबाव बनाया गया था। लेकिन विग्नेश ने ऐसा करने से मना कर दिया। क्योंकि यह ड्रग्स का मामला था और वो केरल पुलिस में नौकरी के लिए अपने रिजल्ट का इंतजार कर रहा था। इसके अलावा विग्नेश भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से संबद्ध डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI) का सदस्य भी है।
4. भाई ढूंढ़ता हुआ पहुंचा: तस्कर की जमानत लेने से मना करने पर पुलिसवालों ने विग्नेश को थाने में बैठा लिया। इसकी जानकारी जब उसके बड़े भाई विष्णु को मालूम चली, तो वो भागा-भागा थाने पहुंचा। विष्णु आर्मी में है। उसे थाने में देखकर ASI प्रकाश चंद्रन उसे झगड़ पड़ा। बाद में चंद्रन ने बाकी साथी पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर दोनों भाई को घसीटकर लॉकअप में बंद कर दिया और फिर घंटों टार्चर किया। आरोप है कि पुलिसवाले नशे में थे।
5.शादी के संबंध में घर आया था बड़ा भाई: पुलिस ने विग्नेश को थाने में बैठाकर रखा था। उसका बड़ा भाई विष्णु अपने रिश्ते की बातचीत के सिलसिले में इस समय घर आया हुआ था। वो बाइक से विग्नेश को ढूंढ़ता हुआ थाने पहुंचा। थाने के ठीक बाहर पार्किंग में विष्णु को कथित तौर पर एएसआई प्रकाश चंद्रन ने अंदर जाने से रोक लिया। वो सिविल ड्रेस में था। इस बात को लेकर कहासुनी हो गई। इस पर एएसआई ने कथित तौर पर विष्णु की शर्ट की जेब फाड़ दी।
5. घंटों तक पीटा: पार्किंग में हुए विवाद की शिकायत लेकर विष्णु थाने के अंदर पुलिस अधिकारी के पास पहुंचा। उसने चंद्रन पर नशे का भी आरोप लगाया। इस पर दोनों के बीच फिर मारपीट हो गई। पुलिस ने शुरू में दावा किया कि ASI को सिर में चोट लगी थी। बाद में एक पुलिस अधिकारी के साथ मारपीट करने के आरोप में विष्णु को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद दोनों भाइयों को कथित तौर पर लॉकअप में घंटों तक बेरहमी से पीटा गया।
6. विष्णु की उंगुली तोड़ दी: विग्नेश के अनुसार, एक पुलिसकर्मी ने विष्णु की तर्जनी(अंगूठे के बाजू वाली उंगुली) को यह कहते हुए तोड़ दिया कि वह फिर कभी ट्रिगर खींचने(आर्मी में बंदूक से गोली चलाने) की स्थिति में नहीं होगा। विग्नेश ने दावा किया कि सब-इंस्पेक्टर अनीश उसका सिर नीचे खींच लिया और बार-बार उसकी रीढ़ की हड्डी पर मारा। विग्नेश ने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने पानी मांगा, तो उन्हें एक कप से पेशाब पीने के लिए कहा गया। उन पर आईपीसी की धारा 353 के तहत ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों पर हमला करने और एक कैदी को जबरन रिहा करने की कोशिश करने का मामला दर्ज किया गया था। उन्हें 12 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया।
7. किसी को बताने पर परिणाम भुगतने की धमकी: पुलिस ने काफी टॉर्चर के बाद उन्हें रिहा कर दिया, लेकिन कथित तौर पर उन्हें अपने घाव दिखाने या पुलिस रिमांड के दौरान जो कुछ हुआ, उसके बारे में दूसरों को बताने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी। अपनी शिकायत में विग्नेश का दावा है कि पुलिस ने उसके घर पर ड्रग्स रखने और उसकी मां को मामले में फंसाने की धमकी दी।
8. पुलिस के खिलाफ सबूत जुटाए: दोनों भाइयों ने कथित तौर पर कई दिनों तक हिरासत में यातना देने का किसी से जिक्र नहीं किया। लेकिन इस बीच पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सबूत एकत्र किए। भाइयों ने उनका इलाज करने वाले डॉक्टर से उनकी चोटों की तस्वीरें लेने के लिए कहा। दस्तावेजों के साथ उन्होंने गुरुवार(20 अक्टूबर) को केरल पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से संपर्क किया, जिसके बाद इसमें शामिल अधिकारियों को अन्य स्टेशनों में स्थानांतरित कर दिया गया।
9. पुलिसवालो को बचाने की कोशिश: हालांकि यह आरोप लगाया जाता है कि पुलिस विभाग ने आरोपी पुलिसवालों को कथित तौर पर उन्हें उनके घरों के करीब स्टेशनों पर ट्रांसफर किया, उन्हें बचाने की कोशिश की। हंगामे और प्रारंभिक जांच के बाद आरोपी अधिकारियों की ओर से गंभीर चूक सामने आई और उन्हें निलंबित कर दिया गया।
10. मामले ने पकड़ा राजनीतिक तूल:पुलिस की बर्बरता के मामले ने एक राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। इसमे विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और सत्तारूढ़ वाम मोर्चा दोनों ने केरल पुलिस के आचरण की निंदा की है।
11. केरल कांग्रेस ने लगाया ये आरोप: केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) के अध्यक्ष के सुधाकरन ने राज्य के पुलिस थानों की तुलना कंसन्ट्रेशन कैम्पों(concentration camps) से की। यानि जहां आम नागरिकों, राजनीतिक बंदियों आदि को कैद रखकर यातनाएं दी जाती हैं। सुधाकरन ने कहा कि पुलिस अत्याचार के ऐसे मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। सुधाकरन ने कहा कि केरल में पुलिस स्टेशन ब्रिटिश शासन के दौरान की तुलना में बहुत खराब हैं।
12. पुलिस पर लगे गंभीर आरोप: विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने अपने पहले के दावे को दोहराया कि राज्य में पुलिस स्टेशन स्थानीय वाम नेतृत्व के निर्देशों के अनुसार काम कर रहे हैं न कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के आदेश के अनुसार। राज्य मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स पर संज्ञान लेते हुए हिरासत में हुई हिंसा के संबंध में मामले पर संज्ञान लिया है।आयोग ने कोल्लम जिला पुलिस प्रमुख को 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।
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