सार

सऊदी अरब अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मुर्गी पालन में भारी निवेश कर रहा है। 50 डिग्री सेल्सियस तक के उच्च तापमान के बावजूद, आधुनिक तकनीक के माध्यम से चिकन उत्पादन बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है।

रियाद: सऊदी अरब एक गर्म देश है, जहाँ आमतौर पर 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान दर्ज किया जाता है। इस कारण से यहाँ खेती करना बहुत मुश्किल काम माना जाता है। इसीलिए सऊदी अरब खाने-पीने की चीजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है। सऊदी अरब दुनिया के उन देशों में से एक है जो सबसे ज्यादा खाद्य सामग्री आयात करता है। अब सऊदी अरब खाद्य पदार्थों में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है।

सऊदी अरब 80% खाद्य सामग्री आयात करता है। लेकिन हाल ही में सीमा विवाद, राजनयिक गतिरोध सहित कई कारणों से आयातित उत्पादों पर सीधा असर पड़ रहा है। इसी के चलते सऊदी अरब 'विजन 2030' के तहत मुर्गी पालन के लिए 4.5 बिलियन डॉलर (17 बिलियन रियाल) निवेश करने जा रहा है। इस तरह चिकन और अंडे की कमी को पूरा करने के लिए सऊदी आगे बढ़ रहा है।

सऊदी अरब के शाकरा (Shaqra) नाम के इलाके में बड़े पैमाने पर मुर्गी फार्म स्थापित किए जा रहे हैं। तनमिया फूड समेत कई कंपनियां मुर्गियों का पालन कर रही हैं। पिछले एक दशक में इन खाद्य कंपनियों का उत्पादन 12 गुना बढ़ा है। रेगिस्तान में अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक तरीके से मुर्गी पालन करने में सऊदी अरब कामयाब रहा है। अत्यधिक गर्मी वाले इलाके में मुर्गी पालन एक बड़ी चुनौती होती है।

आधुनिक तकनीक और सही तापमान नियंत्रण के कारण सऊदी अरब के मुर्गी पालन केंद्रों में चूजों की मृत्यु दर 4% से भी कम है। यहाँ पाले जाने वाले पक्षियों को विशेष आहार दिया जाता है। इससे सऊदी अरब में रोजगार भी पैदा हो रहा है। 2030 तक चिकन में आत्मनिर्भर बनने के लिए सऊदी अरब ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

दुनिया में सबसे ज्यादा चिकन का सेवन भोजन के रूप में किया जाता है। सऊदी अरब में युवाओं की संख्या ज्यादा है, और वे पश्चिमी खाने की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। इस क्षेत्र में चिकन की कीमत कम होने के कारण यह सभी वर्गों के लोगों के लिए सस्ता प्रोटीन युक्त आहार है। इसलिए सऊदी अरब में चिकन की मांग बहुत ज्यादा है। इसीलिए चिकन की कमी को दूर करने के लिए सऊदी अरब 4.5 बिलियन डॉलर का निवेश करने जा रहा है।