सार

राष्ट्रपति मुर्मू ने गणतंत्र दिवस पर 'एक राष्ट्र एक चुनाव', महिला समानता, आर्थिक विकास और औपनिवेशिक मानसिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने संविधान को जीवंत दस्तावेज बताया और देश की प्रगति की सराहना की।

Republic day 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के 76वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। अपने पारंपरिक भाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव', महिलाओं को समानता का अधिकार, आर्थिक विकास सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' को देश के हित में एक दूरदर्शी उपाय बताया। उन्होंने कहा कि'एक राष्ट्र एक चुनाव' विधेयक नीतिगत पक्षाघात को रोकने, संसाधन विभाजन को कम करने और वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करेगा। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' योजना शासन में स्थिरता को बढ़ावा दे सकती है।

औपनिवेशिक मानसिकता के अवशेषों को खत्म करने की आवश्यकता

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कहा कि देश में दशकों से मौजूद औपनिवेशिक मानसिकता के अवशेषों को खत्म करने के लिए सरकार के प्रयास सही दिशा में हो रहे। ब्रिटिश काल के आपराधिक कानूनों को तीन नए आधुनिक कानूनों से बदलना एक बेहतर फैसला था। उन्होंने कहा: हम उस मानसिकता को बदलने के लिए ठोस प्रयास देख रहे हैं... इस तरह के बड़े सुधारों के लिए दूरदर्शिता की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में केवल दंड देने के बजाय न्याय प्रदान करने को प्राथमिकता है। इन तीनों कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को बेहतर ढंग से निपटने की क्षमता है।

आर्थिक विकास को भी सराहा

राष्ट्रपति ने हाल के वर्षों में लगातार उच्च आर्थिक विकास दर की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि देश के उच्च आर्थिक विकास दर ने रोजगार के अवसर पैदा किए हैं, किसानों और मजदूरों की आय में वृद्धि की है और कई लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। सरकार ने समावेशी विकास को प्रोत्साहित किया, लोककल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता ने लोगों के जीवन को बदल दिया है। नागरिकों के लिए आवास और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुंच सुनिश्चित हुई है। हाशिए पर पड़े समुदायों, विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को बुनियादी सुविधा मुहैया कराकर उनको मुख्य धारा से जोड़ा गया।

महिला समानता पर बात

राष्ट्रपति ने संविधान सभा का जिक्र करते हुए महिला समानता की बात की। उन्होंने कहा कि महिलाएं हमेशा से देश के लोकतांत्रिक ढांचे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। उन्होंने कहा: जब दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं की समानता एक दूर का लक्ष्य थी, तब भारतीय महिलाएं राष्ट्र के भाग्य में सक्रिय रूप से शामिल थीं।

संविधान देश का एक जीवंत दस्तावेज

प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि संविधान एक जीवंत दस्तावेज के रूप में विकसित हुआ है जो भारत की सामूहिक पहचान की नींव के रूप में कार्य करता है और पिछले 75 वर्षों में राष्ट्र की प्रगति का मार्गदर्शन करता रहा है। उन्होंने कहा कि एक सुव्यवस्थित स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्र को एकजुट करने के लिए 20वीं सदी के शुरुआती स्वतंत्रता सेनानियों ने बहुत बड़ा योगदान दिया जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। भारत को अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को फिर से खोजने में मदद करने के लिए महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर और बाबासाहेब अंबेडकर जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उन्होंने कहा: न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व केवल आधुनिक अवधारणाएं नहीं हैं; वे हमेशा हमारी सभ्यतागत विरासत का अभिन्न अंग रहे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के भविष्य पर संदेह करने वाले गलत साबित हुए।

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