राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित RAS भर्ती परीक्षा (प्री) के दौरान कई इलाकों में इंटरनेट सर्विस बंद करने का मामले से राजस्थान सरकार की फजीहत हो रही है। साथ ही महिला कैंडिडेट(female candidate) के टॉप की आस्तीन काटने पर NCW ने नोटिस भेजा है।  

नई दिल्ली. राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित RAS भर्ती परीक्षा (प्री) के दौरान अपने ऊट-पटांग फैसले के चलते राजस्थान की अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) सरकार को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है। एग्जाम के दौरान सरकार ने कई जगहों पर इंटरनेट सर्विस बंद करा दी थी। वहीं, एक जगह से महिला कैंडिडेट(female candidate) के टॉप की आस्तीन काटने का मामला भी सामने आया था। इस पर NCW ने नोटिस भेजा है।

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तो क्या देश की सुरक्षा को देखते हुए कश्मीर में इंटरनेट बंद नहीं करा सकती?
कांग्रेस अकसर जम्मू-कश्मीर में धारा 370(Article 370) का विरोध करती रही है। सुरक्षा की दृष्टि से केंद्र सरकार को कई बार यहां इंटरनेट सर्विस बंद करानी पड़ती हैं। इसे लेकर भी कांग्रेस सवाल खड़े करती रही है। इस पर twitter पर एक यूजर आलोक भट्ट (@alok_bhatt) ने राहुल गांधी को टैग करके सवाल किया-जब आपकी पार्टी राजस्थान में सिर्फ एक प्रवेश परीक्षा(entrance Exam) कराने इंटरनेट बंद करा सकती है, तो क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे(धारा 370 के बाद) से निपटने कश्मीर में ऐसा नहीं कर सकती? अगर यही भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने किया होता, तो मीडिया की नाराजगी की कल्पना कीजिए। यूजर ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी टैग किया है। यूजर ने कहा कि राजस्थान में इंटरनेट बंद करना कांग्रेस के लिए लोकतांत्रिक है, लेकिन कश्मीर में, CAA के विरोध के दौरान, लखीमपुर हिंसा, पूर्वोत्तर हिंसा के दौरान इंटरनेट प्रतिबंध अलोकतांत्रिक हो गया।

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NCW ने लिया संज्ञान
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) उस घटना का संज्ञान लेता है, जहां राजस्थान के बीकानेर जिले में RAS 2021 के लिए एक परीक्षा केंद्र के बाहर एक पुरुष सुरक्षा गार्ड को एक महिला उम्मीदवार द्वारा पहने गए टॉप की आस्तीन काटते हुए देखा गया था।

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सरकारें जब चाहती हैं, तब इंटरनेट बंद
इंटरनेट बंद करने के मामले में जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) देश का पहला राज्य है। 10 साल में वहां सबसे ज्यादा 315 बार इंटरनेट बंदी हुई। लेकिन वहां की स्थिति राजस्थान से उलट हैं। वहां हर बार आतंकी गतिविधियों को देखते हुए और सुरक्षा के लिहाज ये फैसला लिया गया। यूपी में 10 साल के दौरान सिर्फ 29 बार , हरियाणा में 17, पश्चिम बंगाल में 13, गुजरात में 10, बिहार और महाराष्ट्र में 11, मध्यप्रदेश और मेघालय में 8, अरुणाचल और मणिपुर में 6-6 बार नेट बंद किया गया है। ओडिशा, पंजाब, दिल्ली, तेलांगाना, असम, नागालैंड, चंडीगढ़, कनार्टक, तमिलनाडू, झारखंड में एक से तीन दिन इंटरनेट बंद रखा गया है।

राजस्थान का हाल
राजस्थान की बात करें तो बीते 10 साल में करीब 78 बार इंटरनेट बंद किया जा चुका है। एक बार भी आतंकी धमकी या सुरक्षा को लेकर नहीं बल्कि हर बार परीक्षा या किसी धरने-प्रदर्शन को लेकर ऐसा किया गया। सीकर, जयपुर, भीलवाड़ा, भरतपुर और उदयपुर में सबसे ज्यादा नेटबंदी की गई है। हालांकि इन सालों में यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों की सरकारें रहीं। 

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हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान इंटरनेट सेवाओं को बंद रखने को लेकर सियासत तो गरमाई ही हुई है लेकिन अब यह मामला हाईकोर्ट तक जा पहुंचा है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज्य सरकार और गृह विभाग से मामले जवाब तलब किया है।

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