सार
Qatar Emir Sheikh Tamim Bin Hamad Al Thani India visit: कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी 17 फरवरी 2025 को भारत पर आ रहे हैं। यह उनकी दूसरी भारत यात्रा है। इससे पहले वह मार्च 2015 में आए थे। हाल के वर्षों में कतर और भारत के संबंध बेहतर हुए हैं। यह यात्रा एक महत्वपूर्ण मोड़ पर भी हो रही है। भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं को सुरक्षित करना चाहता है।
पिछले दशक में कतर के साथ ठीक हुए हैं भारत के संबंध
भारत-कतर संबंध पिछले दशक में काफी बेहतर हुए हैं। भारत ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए पश्चिम एशियाई देशों के साथ जुड़ाव बढ़ाने पर ध्यान दिया है। कतर भारत का प्रमुख LNG (Liquefied Natural Gas) सप्लायर है। कतर ने मध्यपूर्व में संघर्षों में प्रमुख मध्यस्थ के रूप में भूमिका निभाई है। कतर भारत को अपने वैश्विक जुड़ाव में एक प्रमुख भागीदार और व्यापार व निवेश के लिए महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में पहचाना है।
40% LNG कतर से आयात करता है भारत
भारत को कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की अपनी जरूरतों का 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा आयात करना पड़ता है। इसका अधिकतर हिस्सा पश्चिम एशियाई क्षेत्र से आता है। कतर इस मामले में भरोसेमंद साझेदारों में से एक के रूप में उभरा है। कतर भारत को LNG का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। यहां से भारत के वैश्विक LNG आयात का 40% से ज्यादा हिस्सा आता है। पेट्रोनेट LNG लिमिटेड ने 2028 से 2048 तक प्रति वर्ष 7.5 मिलियन टन LNG की आपूर्ति के लिए कतर एनर्जी के साथ फरवरी 2024 में समझौता किया था।
कतर के साथ बढ़ रहा भारत का व्यापार
कतर के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ रहा है। 2023-24 में यह 14.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर (1.22 लाख करोड़ रुपए) था। कतर को भारत का निर्यात 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (14,762 करोड़ रुपए) था और कतर से भारत का आयात 12.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर (1.07 लाख करोड़ रुपए) था।
कतर से भारत एलएनजी, एलपीजी, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स, उर्वरक आदि सामान आयात करता है। वहीं, कतर को अनाज, तांबा, लोहा और इस्पात के सामान, सब्जियां, फल, मसाले, प्रोसेस्ड फूड, वस्त्र और परिधान आदि शामिल हैं।
पश्चिम एशिया की राजनीति में कतर का बढ़ा कद
कतर हाल के दिनों में पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक केंद्र के रूप में उभरा है। 4 साल पहले आतंकवाद का समर्थन करने और कई अन्य आरोपों के चलते इसे जीसीसी से बाहर कर दिया गया था। फिर से जीसीसी में शामिल होने के बाद पश्चिम एशिया की राजनीति में कतर का कद बढ़ा है। फरवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा शांति समझौता कतर के प्रयास से हुआ था। कतर ने गाजा युद्ध को रोकने के लिए भी प्रयास किया है। यह क्षेत्र में शांति के लिए मध्यस्थता करने में सबसे आगे रहा है।
लेबनान में इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध विराम वार्ता में इसकी भूमिका और गाजा में वर्तमान युद्ध विराम इसके रोल की सराहना पूरी दुनिया में हुई है। ईरानी नेतृत्व के साथ कतर के अच्छे संबंध हैं। हमास, हिजबुल्लाह और यहां तक कि मुस्लिम ब्रदरहुड के ऑफिस दोहा में स्थित हैं। यह इन समूहों के नेतृत्व के लिए सुरक्षित जगह देने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से शांति वार्ता के लिए मंच भी प्रदान करता है।
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कतर से निवेश आकर्षित करने पर भारत की नजर
भारत इस क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रमों पर करीब से नजर रख रहा है। कतर के अमीर की भारत यात्रा दोनों देशों के साथ-साथ पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे आर्थिक सहयोग बढ़ाने का मौका मिलेगा। “मेक इन इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” पहलों के तहत भारत की बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं में कतर से निवेश आकर्षित होगा। कतर में 8.30 लाख भारतीय कामगार हैं। कतर के साथ अच्छे संबंध इनके लिए भी लाभदायक होगा।
हिंद महासागर क्षेत्र में आतंकवाद का बढ़ता खतरा और समुद्री सुरक्षा चुनौतियां भारत की प्राथमिक सुरक्षा चिंताओं में से हैं। इसके चलते इलाके के देशों के साथ करीबी सहयोग की आवश्यकता है। अमीर की यात्रा से रणनीतिक सहयोग, रक्षा साझेदारी, आतंकवाद विरोधी उपायों और खुफिया जानकारी साझा करने को और मजबूत करने के तंत्र पर समझौते हो सकते हैं।