सार
पांच दशक तक भारतीय राजनीति में चमकते सितारे की तरह रहे राम विलास पासवान का निधन हो गया। वह 74 साल के थे। 6 दिन पहले ही उनकी दिल्ली के अस्पताल में दूसरी हार्ट सर्जरी हुई थी। रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर पांच दशक से भी पुराना है।
नई दिल्ली. पांच दशक तक भारतीय राजनीति में चमकते सितारे की तरह रहे राम विलास पासवान का निधन हो गया। वह 74 साल के थे। 6 दिन पहले ही उनकी दिल्ली के अस्पताल में दूसरी हार्ट सर्जरी हुई थी। रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर पांच दशक से भी पुराना है। पांच दशकों में रामविलास पासवान 8 बार लोकसभा के सदस्य रहे। पासवान उस वक्त बिहार विधानसभा के सदस्य बन गए थे, जब लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार अपने छात्र जीवन में ही थे। इमरजेंसी के दौरान इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस सरकार से लड़ने से लेकर अगले पांच दशकों तक पासवान कई बार कांग्रेस के साथ, तो कभी खिलाफ चुनाव लड़ते रहे और जीतते रहे। 1977 के लोकसभा चुनाव में ही हाजीपुर सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े पासवान ने चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। वर्तमान में वह राज्यसभा के सदस्य थे ।
खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान राजनीति में आने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। रामविलास पासवान का राजनीतिक सफर 1969 में तब शुरू हुआ था, जब वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे। पासवान ने इमरजेंसी का पूरा दौर जेल में गुजारा। इमरजेंसी खत्म होने के बाद पासवान छूटे और जनता दल में शामिल हो गए। जनता दल के ही टिकट पर उन्होंने हाजीपुर संसदीय सीट से 1977 के आम चुनाव में ऐसी जीत हासिल की, जो इतिहास में दर्ज हो गई।
वीपी सिंह की सरकार में पहली बार बने थे मंत्री
1977 की रिकॉर्ड जीत के बाद रामविलास पासवान फिर से 1980 और 1989 के लोकसभा चुनावों में जीते। इसके बाद बनी विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अगले कई सालों तक विभिन्न सरकारों में पासवान ने रेल से लेकर दूरसंचार और कोयला मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली। इस बीच, वे भाजपा, कांग्रेस, राजद और जदयू के साथ कई गठबंधनों में रहे और केंद्र सरकार में मंत्री बने रहे। पासवान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दोनों सरकारों में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहे हैं।
PM मोदी के दोनों कार्यकाल में बने मंत्री
रामविलास पासवान ने 2002 के गोधरा दंगों के बाद तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी वाली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर एनडीए गठबंधन से भी नाता तोड़ लिया था। इसके बाद पासवान कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में शामिल हुए और मनमोहन सिंह कैबिनेट में दो बार मंत्री रहे। हालांकि, 2014 आते-आते पासवान एक बार फिर यूपीए का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। 2014 और फिर 2019 में बनी नरेंद्र मोदी की दोनों सरकारों में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में अहम मंत्रालय दिए गए।