ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष से भारत के रक्षा कारोबार को बढ़ावा मिला है। भारत के हथियारों को लेकर दुनिया में आकर्षण बढ़ा है। भारत का लक्ष्य 2029 तक हथियारों का निर्यात दोगुना करना है।

Indian Defence Industry: 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला भारत ने 6-7 मई की रात ऑपरेशन सिंदूर चलाकर लिया। इसके बाद 10 मई 2025 तक भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हुआ। इस लड़ाई में भारत के हथियारों ने दुनिया को अपनी ताकत का परिचय दिया। इसका असर अब भारतीय रक्षा उद्योग में दिख रहा है।

ब्रह्मोस ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाई ताकत

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार घरेलू औद्योगिक उत्पादों का निर्यात करके अपने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। इन उत्पादों की रेंज मोबाइल फोन से मिसाइल तक हैं। सैन्य उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस दिशा में स्टार्टअप्स और ब्रह्मोस जैसी स्थापित सरकारी कंपनियां काम कर रहीं हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने ब्रह्मोस की ताकत देखी थी। इसने पाकिस्तान के सैन्य ढांचे को हिलाकर रख दिया था।

भारतीय हथियारों को लेकर दुनिया में आकर्षण बढ़ा

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार Raphe mPhibr के मुख्य कार्यकारी विवेक मिश्रा ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय हथियारों को लेकर दुनिया में आकर्षण बढ़ा है। अगर किसी हथियार को भारतीय सेना कठिन इलाकों में इस्तेमाल करती है और वह खुश है तो दूसरे देश भी उसे अपनाना चाहते हैं।" Raphe mPhibr ड्रोन स्टार्ट-अप है। इसने जून में 100 मिलियन डॉलर (862 करोड़ रुपए) जुटाए हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तैनात ड्रोन ने खींचा दुनिया का ध्यान

Raphe mPhibr के ड्रोन झुंड में उड़ान भरने और उतरने में सक्षम हैं। इनमें वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग वाले mR10 और mR10-IC मॉडल शामिल हैं। ये भारत द्वारा पाकिस्तान के अंदर हमला करने के लिए इस्तेमाल किए गए ड्रोन जैसे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा इस्तेमाल किए गए ड्रोन और हथियारों ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

2029 तक भारत का रक्षा निर्यात 500 अरब रुपए करने का लक्ष्य

भारत 2029 तक अपने रक्षा निर्यात को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाकर 500 अरब रुपए (5.8 अरब डॉलर) से ज्यादा करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का रक्षा निर्यात 236 अरब रुपए रहा था। वर्षों से भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक देशों में से एक रहा है। भारत अमेरिका, फ्रांस, इजराइल और रूस से हथियार खरीदता है।

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कौन से हथियार निर्यात कर रहा भारत?

भारत ने 2022 में फिलीपींस को 375 मिलियन डॉलर में ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइलें निर्यात कीं। वियतनाम और इंडोनेशिया से भी इस मिसाइल के निर्यात के लिए बातचीत चल रही है। इसके अलावा आकाश एयर डिफेंस सिस्टम और तोपों को "मित्र देशों" को बेचने पर भी विचार चल रहा है। ऑपरेशन सिंदूर से पहले भारत ने 4 करोड़ डॉलर में आर्मेनिया को चार बीईएल निर्मित स्वाति हथियार-स्थान निर्धारण रडार दिए थे। आर्मेनिया ने पिनाका रॉकेट और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम भी खरीदे हैं। भारत से उसकी हथियार खरीद लगभग 60 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई है।

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भारत में बन रहे किन हथियारों की दुनिया में है ज्यादा डिमांड

ब्रह्मोस- रूस और भारत द्वारा मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल बनाया जा रहा है। यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। एयर डिफेंस सिस्टम से इसे रोक पाना बेहद मुश्किल है। पाकिस्तान एक भी ब्रह्मोस रोक नहीं सका।

पिनाका- पिनाका भारत का स्वदेशी रॉकेट सिस्टम है। इसका रेंज 45 किलोमीटर है।

आकाश एयर डिफेंस सिस्टम- आकाश भारत का स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है। करीब 25 किलोमीटर रेंज वाला यह सिस्टम लड़ाकू विमान और क्रूज मिसाइल को भी रोक सकता है।

तोप और गोले- भारत तोप और गोले निर्यात करता है।

विमान- भारत Dornier-228 विमान निर्यात करता है। इसे HAL बनाती है।

हेलिकॉप्टर- भारत के ध्रुव हेलीकॉप्टर की दुनिया में डिमांड है। इसके कई वर्जन हैं।

तेजस फाइटर जेट- कई देश भारत से तेजस विमान खरीदने को लेकर बात कर रहे हैं। यह एक इंजन वाला छोटा और हल्का लड़ाकू विमान है।

इनके साथ ही भारत से रडार, बख्तरबंद वाहन, रॉकेट और लांचर, टारपीडो लोडिंग मैकेनिज्म, अलार्म मॉनिटरिंग और कंट्रोल सिस्टम, हल्के टारपीडो और फायर-कंट्रोल सिस्टम, नाइट-विजन मोनोकुलर और दूरबीन, दुश्मन के हथियार की जगह बताने वाले रडार, एचएफ (हाई फ्रिक्वेंसी) रेडियो और तटीय निगरानी रडार जैसे हथियार और उपकरण भी निर्यात होते हैं।