सार

बिहार चुनाव से पहले मणिपुर में JDU ने भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। JDU के एकमात्र विधायक अब विपक्ष में बैठेंगे। क्या यह नीतीश का भाजपा पर दबाव बनाने का तरीका है?

इंफाल। बिहार में विधानसभा के चुनाव से पहले NDA में तनाव की खबरें आ रहीं हैं। इस बीच बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी JDU (जनता दल (यूनाइटेड)) ने भाजपा को झटका दिया है। JDU ने मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व में चल रही सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। इसे नीतीश कुमार का बड़ा दांव माना जा रहा है।

एन बीरेन सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री हैं। इस राज्य में JDU का सिर्फ एक विधायक है। अब वह विपक्ष में बैठेगा। जदयू के सरकार से समर्थन वापस लेने से एन बीरेन सिंह की कुर्सी खतरे में नहीं पड़ेगी। जदयू केंद्र और बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन में है। यह घटनाक्रम मेघालय में सत्ताधारी कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी द्वारा बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के कुछ महीनों बाद हुआ है।

2022 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने जीती थी 6 सीटें

2022 में हुए विधानसभा चुनाव में जदयू ने मणिपुर में 6 सीटें जीती थी, लेकिन चुनाव के कुछ महीनों बाद जदयू के 5 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। इससे सत्ताधारी पार्टी का संख्या बल बढ़ गया। मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं। भाजपा के 37 विधायक हैं। भाजपा को नागा NPF (Naga People's Front) के 5 विधायकों और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला हुआ है। मणिपुर की जेडीयू इकाई के प्रमुख के.एस.बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखकर सरकार से समर्थन वापस लेने की जानकारी दी है।

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लोकसभा चुनाव में जदयू को मिली हैं 12 सीटें

बता दें कि केंद्र की एनडीए सरकार में जदयू प्रमुख सहयोगी है। लोकसभा चुनाव 2024 में जदयू एनडीए के साथ चुनाव लड़ी। पार्टी को 12 सीटों पर जीत मिली। इस बार भाजपा को अकेले बहुमत नहीं है। इसलिए जदयू जैसे बड़े सहयोगी पार्टियों का महत्व बढ़ गया है। जदयू और भाजपा बिहार में भी गठबंधन में है। बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं।