सार
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ में 18 की मौत। महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) जाने की भीड़ के दौरान हादसा। एक पिता की दर्दनाक आपबीती जिसने बेटी को खो दिया। पढ़ें पूरी खबर।
New Delhi Railway station stampede: महाकुंभ के लिए बढ़ा-चढ़ाकर आमंत्रित किए जाने और व्यवस्था दे पाने में नाकाम प्रशासन की लापरवाहियों ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दर्जनों परिवारों को जीवन भर का दर्द दे गया। महाकुंभ तो ये लोग न पहुंच सके लेकिन दिलों में दर्द और दु:खों का पहाड़ लेकर वापस जाने को मजबूर हैं। शनिवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसा में किसी ने अपना बेटा गंवाया है तो कोई अपना परिवार, किसी मां उसकी आंखों के सामने पैरों तले रौंद गई तो कोई अपना पति या पत्नी खो दिया। हालांकि, हादसा के कई घंटों तक मौतों का सच छुपाने वाले रेलवे ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है, जिम्मेदार शोक भी जता रहे, मुआवजा का भी ऐलान हो गया। लेकिन अपनी सात साल की बेटी गंवाने वाले ओपिल सिंह के सवाल का जवाब शायद ही कोई दे सके। दर्द और गम में डूबे ओपिल पूछ रहे कि क्या दस लाख रुपये में मेरी बेटी वापस आ जाएगी?
शनिवार को परिवार संग महाकुंभ जाने के लिए निकले ओपिल सिंह की आंखों में चमक थी लेकिन अब वह आंखें आंसूओं से सराबोर हैं, इस पिता की आवाज कांप रही। उन पलों को याद कर ओपिल की रूह तक शायद कांप उठ रही होगी। रेलवे स्टेशन हादसा में मरने वाले 18 लोगों में उनकी सात साल की बिटिया रिया भी है। देर रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station) पर मची भगदड़ के दौरान वह उनकी अंगुलियां पकड़े हुए थी। लाखों श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj) में महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर उमड़ पड़े थे, इसी दौरान अचानक लोग दौड़े और भगदड़ मच गई।
भगदड़ कैसे मची?
शनिवार रात 10 बजे जब भगदड़ मची, तब प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर पटना जाने वाली मगध एक्सप्रेस (Magadh Express) खड़ी थी और प्लेटफॉर्म 15 पर उत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस (Uttar Sampark Kranti Express) मौजूद थी। हजारों यात्रियों की भीड़ ओवरब्रिज से गुजर रही थी, तभी अचानक कुछ लोग फिसल गए और अफरा-तफरी मच गई। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, इस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हो गए।
एक पिता की बेबसी
उस हादसा के दौरान ओपिल सिंह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रेलवे स्टेशन पर ही थे। वह भी अन्य लोगों की तरह महाकुंभ जा रहे थे। टिकट कंफर्म भी था। ओपिल सिंह बताते हैं कि हम प्लेटफॉर्म नंबर 14 से नीचे उतरे लेकिन जबरदस्त भीड़ देखकर वापस जाने लगे। मैंने कहा, 'भीड़ बहुत है, चलो घर चलते हैं। बच्चों को लेकर नहीं जाएंगे, छोटे-छोटे बच्चे हैं, क्या करेंगे?'इसके बाद वह बताते हैं कि वह लोग लौटने लगे। जब वह ओवरब्रिज पर चढ़ रहे थे, तभी उनकी बेटी बीच में फंस गई। ऊपर से हजारों लोग नीचे आ रहे थे।
ओपिल कांपती आवाज में उन पलों को याद करते: लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए, किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला। मेरी बेटी के सिर में किला घुस गया…खून अंदर जम गया, पूरा काला पड़ गया।
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दो कुलियों ने दिखायी इंसानियत
जब उन्होंने अपनी बेटी को उठाया तो वहां कोई एम्बुलेंस (Ambulance) नहीं थी। वे एक ऑटो से अस्पताल भागे। लेकिन भीड़ में जेब कट चुकी थी। मोबाइल भी कहीं गायब हो गया था। उस वक्त उनके लिए देवदूत बनकर दो कुली आए। दोनों ने 100-100 रुपये की मदद की। ऑटो से वह बेटी को लेकर अस्पताल पहुंचे। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने कहा कि आप थोड़ी देर पहले आए होते…। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रिया दम तोड़ चुकी थी।
मुआवज़े पर पिता की प्रतिक्रिया
रेलवे ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवज़ा देने की घोषणा की है। लेकिन ओपिल सिंह का दर्द शब्दों में नहीं समा रहा। वह पूछते हैं कि10 लाख से मेरी बेटी तो वापस नहीं आएगी।
रेलवे की सफाई और जांच के आदेश
उत्तर रेलवे (Northern Railway) के CPRO हिमांशु उपाध्याय ने कहा कि हादसे की उच्चस्तरीय जांच (High-Level Inquiry) के लिए दो सदस्यीय समिति बनाई गई है, जिसमें नरसिंह देव (PCCM, Northern Railway) और पंकज गंगवार (PCSC, Northern Railway) शामिल हैं।
महाकुंभ और भीड़ नियंत्रण पर सवाल
महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। लेकिन इस भगदड़ ने रेलवे और प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या इस तरह की भीड़भाड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त इंतज़ाम किए गए थे? क्या यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद थे? और सबसे मौजूं सवाल यह कि अपर्याप्त संसाधनों और लगातार हो रही घटनाओं के बीच तमाम कथित वीवीआईपी लगातार सोशल मीडिया पर महाकुंभ के लिए देश को आमंत्रित कर रहे, उनको 144 साल का महात्म्य समझा रहे।
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