Irom Sharmila On Manipur Violence: बीते दो महीने से पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर जाति हिंसा की आग में सुलग रहा है। 3 मई को राज्य में भढ़की हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही। अभी तक 160  लोग जान गंवा चुके हैं। पचास हजार से ज्यादा लोगों को राहत-शिविरों में विस्थापित किया गया है। इस दौरान राज्य में इंसानियत पर धब्बा लगाने वाली घटनाएं भी घटित हुई जिसने देश को हिलाकर रख दिया। मणिपुर में फैली अशांति और हिंसा को रोकने के लिए 'आरयन लेडी' के नाम से मशहूर इरोम शर्मिला ने एक मीडिया संस्थान को दिए गए इंटरव्यू में बड़ा बयान दिया है।

बता दें, इरोम शर्मिला वही हैं जिन्होंने अफस्पा ( Armed Forces Special Powers Act) के खिलाफ 16 साल तक अनशन किया। उन्होंने राज्य में हो रही हिंसा की वजह बताई और इसे कंट्रोल करने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है इस बारे में भी बात की।

'बेरोजगारी, नशाखोरी हिंसा की मुख्य वजह'

इंटरव्यू में इरोम शर्मिला ने मणिपुर में हिंसा के पीछे युवाओं पर नशे के असर और बेरोजगारी को सबसे बड़ी वजह बताया। इरोम ने कहा- राज्य में लोगों को समय पर सैलरी नहीं मिल रही। कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन का एक हिस्सा उग्रवादियों को जाता है। ऐसी स्थिति में लोगों का मन अशांत है उन्होंने राज्य में शांति स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की।

 यह भी पढें- Manipur violence: वीडियो वाली घटना के अगले दिन दो महिलाएं हुईं थीं भीड़ की दरिंदगी की शिकार, गैंगरेप के बाद मार डाला

हिंसा खत्म करने के उपायों पर की बात

इरोम ने राज्य में हिंसा खत्म करने के उपायों को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा पीएम मोदी को राज्य के विधायकों से बातचीत करनी चाहिए और तनावपूर्ण मुद्दों पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की प्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए शांति बहाली के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने अपील की मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए सभी को एक साथ आना होगा।

केंद्र सरकार के रवैये पर जताई चिंता

आयरन लेडी ने बताया कि मैतेई और कुकी जनजाति के बीच जारी संघर्ष अब नियंत्रण से बाहर होता जा रहा है। दोनों नफरत से भरे हुए हैं। उन्होंने पड़ोसी राज्यों को इस मसले पर हस्तक्षेप न करने की सलाह दी और कहा कि पड़ोसी राज्य दूर से शांति बहाली के लिए कोशिश कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि केंद्र सरकार जानबूझकर स्थिति को अनदेखा कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में केंद्र सरकार के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। 

मणिपुर में कैसे हुई हिंसा की शुरुआत ?

बीती 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। जब हाईकोर्ट के मैतई जनजाति को आदिवासी दर्जा देने के आदेश के खिलाफ रैली का आयोजन किया गया था। मैतई समुदाय को आदिवासी दर्जा देने का कुकी समुदाय विरोध कर रहा था और इसके बाद ही हिंसा देखने को मिली। मारपीट और हत्याएं बीते 2 महीनों में मणिपुर में आम बात हो गई थी लेकिन बीते दिनों महिलाओं के साथ यौन हिंसा की जो घटना सामने आई है उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 19 जुलाई को राज्य में महिलाओं से दरिंदगी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें पुरुषों की भीड़ दो महिलाओं को नग्न घुमाते नजर आ रही थी। 4 मई को हुई इस घटना में एक महिला के साथ कथित तौर पर रेप का भी आरोप है। इस घटना से पूरे देश में उबाल है। अभी तक इस मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकियों की पहचान की जा रही है।

यह भी पढें- Manipur Violence: मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, दो गुटों के बीच चली गोलियां, घर और स्कूल भी फूंके