Hindi Compulsory in Schools cancelled: महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी को तीसरी भाषा बनाने के दोनों सरकारी आदेश रद्द कर दिए हैं। CM Fadnavis ने तीन भाषा नीति पर रिपोर्ट देने के लिए Dr Narendra Jadhav की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। जानें पूरी खबर।
Hindi Compulsory in Schools cancelled: महाराष्ट्र में स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा (Three-Language Policy) बनाने पर मचे घमासान के बीच फडणवीस सरकार बैकफुट पर आ गई है। ठाकरे बंधुओं के विरोध के ऐलान के बाद रविवार को राज्य सरकार ने हिंदी की अनिवार्यता के लिए जारी शासनादेश को रद्द करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने यह ऐलान किया है। सोमवार को राज्य कैबिनेट मीटिंग के बाद CM फडणवीस ने कहा: डॉ. नरेंद्र जाधव (Dr Narendra Jadhav) की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी, जो तय करेगी कि किस कक्षा से यह नीति लागू की जाए, कैसे लागू किया जाए और छात्रों को क्या विकल्प दिए जाएं। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही अंतिम निर्णय होगा। तब तक 16 अप्रैल और 17 जून को जारी दोनों सरकारी आदेश (GR) रद्द किए जाते हैं।
मराठी पर रहेगा फोकस, ठाकरे पर निशाना
CM फडणवीस ने कहा कि सरकार का फोकस मराठी (Marathi) पर ही रहेगा। उन्होंने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) पर निशाना साधते हुए कहा: जब उद्धव मुख्यमंत्री थे, उन्होंने डॉ. रघुनाथ माशेलकर कमेटी की सिफारिशें स्वीकार कर तीन भाषा नीति को पहली से बारहवीं तक लागू करने का फैसला किया था।
शिवसेना (UBT) का जोरदार विरोध, GR जलाए
इससे पहले सोमवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) ने मुंबई समेत राज्यभर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और 17 जून के आदेश की कॉपियां जलाईं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि वे हिंदी के खिलाफ नहीं बल्कि उसके थोपे जाने के खिलाफ हैं।
कब-कब हुए आदेश, क्यों भड़का विवाद
- 16 अप्रैल को सरकार ने पहला GR जारी कर पहली से पांचवीं कक्षा के अंग्रेजी और मराठी मीडियम स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का आदेश दिया।
- विरोध के बाद 17 जून को दूसरा GR जारी कर हिंदी को वैकल्पिक भाषा बना दिया गया।
- इस दूसरे GR में कहा गया था कि अगर किसी कक्षा में 20 या ज्यादा छात्र हिंदी की जगह दूसरी भारतीय भाषा पढ़ना चाहें तो स्कूल वैसी व्यवस्था करेगा।
- लेकिन इस संशोधित आदेश ने 'हिंदी थोपने' के मुद्दे को और भड़का दिया, जिस पर गैर-हिंदीभाषी राज्यों में लंबे समय से विवाद है।
चुनावी माहौल में उभरा भाषा विवाद
मुंबई में निकाय चुनाव (Mumbai Civic Polls) नजदीक हैं और इस भाषा विवाद को शिवसेना और मनसे ने प्रमुखता से उठाया। सबसे अहम यह कि इस विवाद को महाराष्ट्र की आवाज बनाने के लिए ठाकरे परिवार एकजुट नजर आया। करीब 20 साल बाद ठाकरे बंधुओं उद्धव और राज ठाकरे एक मंच पर आकर विरोध का ऐलान किया था। दोनों ने 5 जुलाई को संयुक्त विरोध की घोषणा की थी। इस नए समीकरण के बाद राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई और आखिरकार हिंदी की अनिवार्यता को रद्द कर दी।