Nimisha Priya: यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी 16 जुलाई को तय किया गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मामले में तुरंत दखल देने की अपील की है। 

Nimisha Priya: यमन की राजधानी सना की एक कड़ी सुरक्षा वाली जेल में भारत की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया अपने जीवन के सबसे कठिन समय से गुजर रही हैं। वहां की अदालत ने उनकी फांसी की तारीख तय कर दी है। 16 जुलाई को निमिषा को फांसी दी जाएगी यानी अब सिर्फ दो दिन बाकी हैं जब उनके जीवन का फैसला हो जाएगा।

पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी

निमिषा की जिंदगी बचाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इस मामले में तुरंत दखल देने की अपील की है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह कूटनीतिक स्तर पर कार्रवाई करे ताकि निमिषा की जान बचाई जा सके। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या इन दो दिनों में कोई ऐसा रास्ता निकल सकता है जिससे निमिषा को फांसी से बचाया जा सके? यह जानने के लिए अब सबकी निगाहें भारत सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।

नौकरी की तलाश में यमन गई थीं निमिषा

केरल की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया साल 2008 में नौकरी के लिए यमन गई थीं और वहां एक निजी क्लिनिक शुरू किया। स्थानीय कानून के अनुसार, उन्होंने यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी को साझेदार बनाया। आरोप है कि मेहदी ने उनके साथ धोखाधड़ी की, पैसे हड़पे और मानसिक व शारीरिक शोषण किया। 2017 में पासपोर्ट वापस लेने के लिए निमिषा ने उसे बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन अधिक दवा देने से उसकी मौत हो गई। घबरा कर, उन्होंने साथी नर्स की मदद से शव के टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंक दिया।

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क्यों हुई फांसी की सजा?

गिरफ्तारी के बाद निमिषा ने हत्या कबूल की और सना की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। यमन की सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी। अब जब 16 जुलाई को फांसी की तारीख तय है, परिवार और सरकार आखिरी कोशिशों में जुटे हैं। निमिषा प्रिया के मामले में सबसे बड़ी रुकावट यह है कि मृतक मेहदी का परिवार ब्लड मनी यानी कि मुआवजा लेने को तैयार नहीं है। यमन का कानून कहता है कि जब तक पीड़ित परिवार माफ नहीं करता तब तक अदालत या राष्ट्रपति भी फांसी की सजा नहीं रोक सकते।

यमन में चल रहे गृहयुद्ध के कारण हालात मुश्किल

भारत सरकार ने विदेश मंत्रालय के जरिए कई कोशिशें की हैं, लेकिन यमन में चल रहे गृहयुद्ध और हूथी विद्रोहियों के कब्जे के कारण हालात बहुत मुश्किल हो गए हैं। अब बस यही उम्मीद बची है कि भारत सरकार या सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से कोई राजनयिक चमत्कार हो जाए और यमन के किसी शेख, नेता या धर्मगुरु की मदद से मृतक का परिवार माफ कर दे। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो 16 जुलाई की सुबह यमन की जेल में एक भारतीय नर्स की जिंदगी हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।