Karnataka Smart Meter Scam: कर्नाटक में स्मार्ट मीटर (Smart Meter) की खरीद और इंस्टालेशन में बड़े पैमाने पर लूट की गई है। Asianet-Suvarna News ने कर्नाटक कांग्रेस सरकार द्वारा स्मार्ट बिजली मीटर की खरीद में 7,500 करोड़ रुपये की भारी अनियमितताओं का खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्ट मीटर की कीमतों में भारी गड़बड़ी करते हुए आम आदमी के खून-पसीना की गाढ़ी कमाई का 7,408 करोड़ रुपये का बंदरबांट कर लिया गया है। हद तो यह है कि सब्सिडी का घोटाला किया ही गया है, आम जनता से भी स्मार्टमीटर के नाम एक्स्ट्रा वसूला जा रहा।
स्मार्ट मीटर खरीद में बड़े पैमाने पर हेरफेर
रिपोर्ट्स के अनुसार, पूरे देश में स्मार्ट मीटर इंस्टालेशन के लिए एक समान नियम लागू हैं लेकिन कर्नाटक में अलग नियम अपनाए गए हैं। अन्य राज्यों में जहां एक स्मार्ट मीटर की कीमत 7,740 रुपये है, वहीं कर्नाटक में इसकी कीमत 17,000 रुपये तक वसूली जा रही है।
केंद्र सरकार की सब्सिडी भी ठेकेदारों की जेब में
स्मार्ट मीटर इंस्टालेशन के लिए केंद्र सरकार प्रति मीटर 900 रुपये की सब्सिडी देती है। राज्य सरकार यह राशि सीधे ठेकेदार कंपनियों को ट्रांसफर कर रही है और शेष राशि उपभोक्ताओं से 10 वर्षों तक किस्तों में वसूली जा रही है।
BESCOM कर रहा है जनता से लूट?
राज्य सरकार ठेकेदार कंपनियों को हर स्मार्ट मीटर के लिए पूरी राशि एकमुश्त दे रही है। स्मार्ट मीटर की कुल कीमत 8,510 रुपये होने के बावजूद BESCOM उपभोक्ताओं से 17,000 रुपये वसूल रहा है। यानी अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक के लोगों से 9,260 रुपये अतिरिक्त वसूले जा रहे हैं।
बिजली उपभोक्ताओं पर 7,408 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ
राज्य सरकार 8 लाख स्मार्ट मीटर लगाने के लिए 7,408 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। यह राशि प्रति मीटर 9,260 रुपये की अतिरिक्त लागत के आधार पर तय की गई है। सरकार का लक्ष्य हर साल 9 लाख स्मार्ट मीटर इंस्टाल करने का है और इस योजना में 39 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य है।
स्मार्ट मीटर की कीमतों में 400% से 800% तक वृद्धि
स्मार्ट मीटर | पुरानी कीमत | नई कीमत |
सिंगल फेज मीटर | ₹950 | ₹4,998 |
सिंगल फेज मीटर-2 | ₹2,400 | ₹9,000 |
थ्री फेज मीटर | ₹2,500 | ₹28,000 |
7,000 करोड़ का टेंडर घोटाला?
इस घोटाले में टेंडर प्रक्रिया को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि स्मार्ट मीटर टेंडर एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को दिया गया। इसके अलावा, पुराने उपभोक्ताओं से भी जबरन मीटर बदलवाने और उनसे शुल्क वसूलने के आरोप लगे हैं। स्मार्ट बिजली मीटर खरीदने के लिए ठेके देने में 7,500 करोड़ रुपये की अनियमितता का आरोप लगाते हुए भाजपा विधायक सी.एन. अश्वथ नारायण ने गुरुवार को ठेके को रद्द करने और कथित अनियमितताओं की जांच के लिए सदन की एक समिति गठित करने की मांग की।
विधानसभा में राज्य बजट पर बहस के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए डॉ. अश्वथ नारायण ने आरोप लगाया कि लगभग 39 लाख स्मार्ट मीटर की खरीद के लिए ठेका देने में कई खामियां थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि निर्माताओं से सीधे खरीद करने के बजाय, ठेका एक आपूर्तिकर्ता को दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप स्मार्ट मीटर की लागत बढ़ गई। इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि स्मार्ट मीटर के लिए सॉफ्टवेयर सहायता प्रदान करने के लिए एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को चुना गया था।
बेसकॉम (BESCOM) और अन्य ESCOM कंपनियों पर उठे सवाल!
बिजली कंपनी | स्मार्ट मीटर इंस्टालेशन लागत |
BESCOM | ₹4 लाख |
MESCOM | ₹70,000 |
HESCOM | ₹1.46 लाख |
JESCOM | ₹1.17 लाख |
CESCOM | ₹60,000 |
जनता पर जबरन थोपा गया स्मार्ट मीटर
नए ग्राहकों के लिए स्मार्ट मीटर इंस्टालेशन अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि पुराने उपभोक्ताओं पर भी यह जबरन थोपा जा रहा है। जबकि, नियमों के अनुसार पुराने ग्राहकों का स्मार्ट मीटर शुल्क ESCOM को स्वयं वहन करना चाहिए।