बेंगलुरु के येलाहंका में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में 300 घर तोड़े गए, जिससे 3000 लोग विस्थापित हुए। राजनीतिक आलोचना के बाद, कर्नाटक सरकार मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक कर प्रभावितों के पुनर्वास पर फैसला लेगी।

बेंगलुरु: बेंगलुरु के येलाहंका में अतिक्रमण हटाने से जुड़े संकट पर चर्चा के लिए कर्नाटक सरकार तैयार है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में आज शाम एक अहम बैठक होगी। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और आवास मंत्री जमीर अहमद भी शामिल होंगे। सीपीएम के इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उठाने के बाद कोगिलु क्रॉस में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा है। इसके बाद, कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने आज एक आपातकालीन बैठक बुलाई है। सरकार आज लगभग तीन हजार विस्थापित लोगों के अस्थायी पुनर्वास का फैसला सुना सकती है। 

जेसीबी से करीब तीन सौ घर तोड़े जाने के बाद कई लोग सड़कों पर रहने को मजबूर हैं। सीपीएम समेत कई दलों ने आरोप लगाया है कि कर्नाटक में 'बुलडोजर राज' चल रहा है। सीपीएम के इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उठाने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इसमें दखल दिया। AICC नेतृत्व ने इस पर सफाई मांगी थी। सरकार की योजना उन लोगों के लिए फ्लैट बनाकर देने की है जिन्होंने अपने घर खो दिए हैं। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कर्नाटक कांग्रेस की बुलडोजर राजनीति की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। मुख्यमंत्री ने इसे यूपी मॉडल का संघ परिवार का एजेंडा बताया था। इसके जवाब में कर्नाटक के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी सामने आए थे। 

मुख्यमंत्री पिनाराई की प्रतिक्रिया के बाद, सीपीएम ने इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उठा लिया। सीपीएम के एक प्रतिनिधिमंडल ने येलाहंका के मुस्लिम बहुल इलाके का दौरा किया, जहां लगभग तीन हजार लोग प्रभावित हुए हैं। इसके बाद ही राष्ट्रीय नेतृत्व को सीपीएम के दखल से होने वाले खतरे का एहसास हुआ। फिर AICC ने राज्य के कांग्रेस नेताओं से सफाई मांगी। AICC के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार से इस पर जवाब मांगा। डी.के. शिवकुमार ने सफाई दी कि यह सिर्फ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई थी और प्रक्रिया में कोई चूक नहीं हुई।

हालांकि नेता सरकारी कार्रवाई को सही ठहरा रहे हैं और पिनाराई की आलोचना को राजनीतिक बताकर खारिज कर रहे हैं, लेकिन उनका मानना है कि घरों को तोड़ने का फैसला उल्टा पड़ गया है। इसी वजह से सरकार अब तोड़े गए घरों के पास ही फ्लैट बनाकर बेघर हुए लोगों को बसाने पर विचार कर रही है। सरकार ने जिला प्रशासन को इसके लिए सर्वे समेत अन्य प्रक्रियाएं तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया है। इन मामलों पर आगे की कार्रवाई का फैसला भी आज की बैठक में लिया जाएगा। इस मुद्दे पर सीपीएम ने कांग्रेस पर हमला तेज कर दिया है, और भले ही पी.के. कुन्हालीकुट्टी जैसे लोग बचाव में आए, लेकिन लीग अध्यक्ष पनक्कड़ सादिक अली थंगल कांग्रेस की सफाई से संतुष्ट नहीं हैं।