सार
कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र देने से सियासी संकट पैदा हुआ है। इनमें से छह के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिए हैं जबकि अन्य 16 के इस्तीफे अब तक मंजूर नहीं हुए हैं। यदि इन 16 बागी विधायकों में से कम से कम 13 बागी विधायक कांग्रेस के पक्ष में मतदान करते हैं, तो तभी यह सरकार बच सकती है,
भोपाल. उच्चतम न्यायालय द्वारा मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष एन पी प्रजापति को शक्ति परीक्षण के लिये शुक्रवार को सदन का विशेष सत्र बुलाये जाने और यह प्रक्रिया शाम पांच बजे तक पूरी करने के निर्देश दिये जाने के बाद प्रदेश की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार का भविष्य अब कांग्रेस के 16 बागी विधायकों पर टिका था। लेकिन देर रात विधानसभा अध्यक्ष ने 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए। जिसके बाद माना जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट से पहले ही कमलनाथ इस्तीफा दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने इस पुरे मामले पर कल 12 बजें मीडिया को संबोधित करेंगे। उसके बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि कमलनाथ, फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे सकते हैं।
13 बागी सरकार के पक्ष में आते हैं तभी बचेगी सरकार
मालूम हो कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के त्यागपत्र देने से सियासी संकट पैदा हुआ है। इनमें से छह के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिए हैं जबकि अन्य 16 के इस्तीफे अब तक मंजूर नहीं हुए हैं। यदि इन 16 बागी विधायकों में से कम से कम 13 बागी विधायक कांग्रेस के पक्ष में मतदान करते हैं, तो तभी यह सरकार बच सकती है, अन्यथा इस सरकार का जाना तय है। वहीं, यदि इन 16 बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर भी कर लिए जाते हैं, तो कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी और सरकार का गिरना तय है।
वर्तमान में विधानसभा में 2 सीटें खाली है
मध्यप्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। इनमें से दो विधायकों (एक कांग्रेस एवं एक भाजपा) का निधन हो जाने से वर्तमान में दो सीटें खाली हैं और विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कांग्रेस के छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किये गये हैं। इस प्रकार अब सदन में कुल 222 सदस्य रह गये हैं। कांग्रेस के 6 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के बाद सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 114 से घटकर 108 रह गयी है, जिनमें वे 16 बागी विधायक भी शामिल हैं जिनके इस्तीफे अभी स्वीकार नहीं किये गये हैं।
कांग्रेस के पास 92 विधायक मौजूद
यदि ये विधायक मतदान में शामिल नहीं होते हैं, तो कांग्रेस के पास केवल 92 विधायक ही रह जाएंगे। इनके अलावा, इस सरकार को वर्तमान में चार निर्दलीय, दो बसपा एवं एक सपा विधायक का समर्थन भी प्राप्त है। यदि शक्ति परीक्षण में भी ये सभी इनके साथ रहते हैं, तो कमलनाथ सरकार के पास कुल मिलाकर 99 सदस्यों का समर्थन रहेगा।
भाजपा के पास वर्तमान में 107 विधायक हैं
वहीं, राज्य विधानसभा में इस समय भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों की संख्या 107 है। इस प्रकार कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के मतदान में भाग न लेने पर इस सरकार का गिरना तय है, बशर्ते भाजपा के विधायक एकजुट रहें। लेकिन यदि कम से कम 13 बागी विधायकों के कमलनाथ सरकार के पक्ष में मतदान करते हैं, तो तभी यह सरकार बच सकती है, बशर्ते 4 निर्दलीय, दो बसपा एवं एक सपा विधायक पहले की तरह इस सरकार के समर्थन में मतदान करे।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)