सार

झारखंड के सघन जंगलों में रातभर चली गोलीबारी, गूंजती रहीं गोलियों की आवाज़ें... और सुबह होते ही सामने आया एक खौफनाक सच—15 लाख का इनामी माओवादी कमांडर तुलसी भुइयां ढेर! कौन था उसके साथ? किसका अगला नंबर? जंगलों में अब भी मंडरा रहा है सन्नाटा...

Palamu Maoist News: झारखंड के पलामू जिले में सोमवार रात से मंगलवार सुबह तक चले भीषण मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने बड़ी सफलता पाई है। हुसैनाबाद क्षेत्र के घने जंगलों में हुई इस मुठभेड़ में 15 लाख का इनामी माओवादी कमांडर तुलसी भुइयां मारा गया।

कैसे हुआ ऑपरेशन का खुलासा?

खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली थी कि माओवादी कमांडर नितेश अपने दस्ते के साथ मोहम्मदगंज और हैदरनगर के सीमावर्ती जंगल सीताचुआं में छिपा हुआ है। इसमें 10 लाख का इनामी संजय गोदरम भी शामिल था। पुलिस और CRPF की संयुक्त टीम ने त्वरित एक्शन लिया।

गोलीबारी शुरू... जंगल बना रणभूमि

जैसे ही सुरक्षा बलों ने इलाके को घेरा, माओवादियों ने अचानक अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में तुलसी भुइयां मारा गया, जबकि कुछ माओवादी घायल या फरार हो सकते हैं। घटनास्थल से SLR राइफल बरामद हुई है।

पूरे इलाके में तलाशी अभियान जारी

मुठभेड़ के बाद पुलिस और CRPF का क्लीन ऑपरेशन जारी है। जंगल के चप्पे-चप्पे की तलाशी ली जा रही है ताकि कोई माओवादी बच न सके। एसपी रिश्मा रमेशन और CRPF के आला अधिकारी मौके पर डटे हुए हैं।

लगातार मारे जा रहे हैं इनामी माओवादी

यह कार्रवाई झारखंड में लगातार दूसरे दिन की सफलता है।

  • 26 मई: लातेहार में 5 लाख का मनीष यादव ढेर, 10 लाख का कुंदन खरवार गिरफ्तार।
  • 24 मई: इछवार जंगल में पप्पू लोहारा (10 लाख) और प्रभात लोहारा (5 लाख) मारे गए।
  • 21 अप्रैल: बोकारो में 1 करोड़ का इनामी प्रयाग मांझी समेत 8 माओवादी मारे गए।

क्यों ये ऑपरेशन है माओवादी नेटवर्क के लिए झटका?

लगातार हो रही मौतें और गिरफ्तारियों से माओवादी नेटवर्क कमजोर और अस्त-व्यस्त हो रहा है। झारखंड में पुलिस और केंद्रीय बलों की रणनीति अब प्रभावी और आक्रामक हो चुकी है। जंगल अब माओवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं रहे।

अगला निशाना कौन?

तुलसी भुइयां की मौत के साथ ही माओवादियों में दहशत फैल गई है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियां अभी भी इस सवाल का जवाब ढूंढ रही हैं – “उस रात जंगल में और कौन था?” ऑपरेशन जारी है, लेकिन सन्नाटा कुछ और कह रहा है...