सार

इसरो ने 100वां लॉन्च करके इतिहास रचा! GSLV-F15 रॉकेट ने NVS-02 उपग्रह को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुँचाया। ये लॉन्च भारत के नेविगेशन सिस्टम को और मजबूत करेगा।

श्रीहरिकोटा। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO (Indian Space Research Organisation) ने बुधवार सुबह 100वां मिशन लॉन्च कर इतिहास रचा है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सुबह 6:23 बजे GSLV-F15 सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह रॉकेट अपने साथ NVS-02 उपग्रह ले गया है। यह इसरो के अध्यक्ष के रूप में वी नारायणन का पहला मिशन है। उन्होंने हाल ही में पदभार संभाला है। इसके साथ ही 2025 में इसरो का यह पहला अभियान है। इसरो के अब तक के मिशनों को जानने के लिए यहां क्लिक करें

श्रीहरिकोटा से 10 अगस्त 1979 को पहला बड़ा रॉकेट सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएलवी) लॉन्च किया गया था। इसके करीब 46 साल बाद इसरो ने रॉकेट लॉन्च का शतक लगा लिया है। अब तक श्रीहरिकोटा में सभी बड़े रॉकेट लॉन्च भारत सरकार द्वारा किए गए हैं।

अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी)/इसरो के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि GSLV-F15 भारत के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) की 17वीं उड़ान है। GSLV-F15 सुबह 6:23 बजे लॉन्च हुआ। यह NVS-02 उपग्रह को 36,000 किलोमीटर की दूरी पर भूस्थिर कक्षा में ले गया। इससे भारत के नेविगेशन तारामंडल के उपग्रहों की संख्या 4 से बढ़कर 5 हो गई है। इससे भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के उपग्रह समूह में नई जान आएगी।

क्या है नाविक?

NVS-02 भारत के नेविगेशन उपग्रहों की नई पीढ़ी का दूसरा उपग्रह है। यह नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) प्रणाली का हिस्सा है। NavIC भारत की क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है। इसे भारत और आस-पास के क्षेत्रों में यूजर्स के लिए सटीक स्थिति, वेग और समय की जानकारी देने के लिए डिजाइन किया गया है। यह भारत से 1,500 किमी दूर तक काम करता है।

NVS-02, NavIC की सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद करेगा। इसका इस्तेमाल नेविगेशन, सटीक कृषि, आपातकालीन सेवाओं, बेड़े प्रबंधन और यहां तक ​​कि मोबाइल डिवाइस स्थान सेवाओं के लिए किया जाता है।