नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के लड़ाकू विमान सुखोई (Su-30MKI) ने हिंद महासागर क्षेत्र में एक अभ्यास के क्रम में लगातार आठ घंटे उड़ान भरा है। इस अभ्यास में कई सुखोई विमान शामिल थे। हवा में विमान में इंधन भरने के लिए टैंकर विमान की मदद ली गई। अभ्यास में भारत के पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तटों को कवर किया गया। यह जानकारी वायुसेना ने ट्वीट कर दी है।
चीन के लिए क्या हैं भारतीय वायु सेना के अभ्यास के मायने
भारतीय वायु सेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार आठ घंटे तक सुखोई विमान को उड़ाकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। सुखोई बेहद ताकतवर लड़ाकू विमान है। हवा से हवा में लड़ाई हो या जमीन या पानी पर मौजूद टारगेट पर हमला करना, यह हर तरह के मिशन को अंजाम दे सकता है। इंडियन एयर फोर्स के इस अभ्यास से चीन को बड़ा मैसेज मिला है। चीनी नौसेना की सक्रियता हिंद महासागर में बढ़ी है। इसे देखते हुए भारत भी अपनी नौसेना की क्षमता में इजाफा कर रहा है। आठ घंटे तक सुखोई को उड़ाकर वायुसेना ने चीन को साफ संदेश दिया है कि वह जरूरत पड़ने पर किस तरह की कार्रवाई कर सकता है।
चीनी नौसेना के लिए क्यों खतरनाक है सुखोई विमान
फाइटर जेट सुखोई की गिनती दुनिया के सबसे बेहतर लड़ाकू विमानों में होती है। इसके साथ ही एक और खास बात है जो इसे चीनी नौसेना के लिए बेहद खतरनाक बनाती है। सुखोई दुनिया का एकमात्र विमान है जो ब्रह्मोस जैसे सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को फायर कर सकता है।
सुखोई को ब्रह्मोस के हवा से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल से लैस किया गया है। ब्रह्मोस का रेंज करीब 300 किलोमीटर है। अत्यधिक तेज रफ्तार और क्रूज मिसाइल होने से इसे रडार से पकड़ पाना कठिन होता है। एयर डिफेंस सिस्टम से इस मिसाइल को रोक पाना बेहद कठिन है। ब्रह्मोस मिसाइल से लैस होने के चलते सुखोई के पास यह क्षमता है कि वह युद्धपोत के एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज से दूर रहकर भी उसपर हमला कर सकता है।