देशभर में होने वाले इमरजेंसी मॉक ड्रिल के दौरान सायरन की आवाज़ सुनाई देगी। 1971 के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है ये अभ्यास। घबराएँ नहीं, सुरक्षित रहें।

Emergency Mock Drill: पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव को देखते हुए बुधवार को पूरे देश में इमरजेंसी मॉक ड्रिल किया जाएगा। इस दौरान लोगों को सायरन की परेशान करने वाली तेज आवाज सुनाई देगी। अगर आपको भी ऐसी आवाज सुनाई दे तो चिंता करने की बात नहीं है। अभी यह सिर्फ सतर्क होने के लिए है। 1971 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर मॉक ड्रिल किया जाने वाला है। लड़ाई के समय दुश्मन हवाई हमला करे या मिसाइल दागे तो उससे बचने के लिए सायरन बजाया जाता है। इसकी आवाज सुनकर लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे कम नुकसान होता है।

कहां लगाए जाते हैं वार सायरन?

  • सरकारी इमारतें
  • पुलिस मुख्यालय
  • अग्निशमन स्टेशन
  • सैन्य अड्डे
  • शहरों में भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक क्षेत्र

वार सायरन को ऊंची जगह पर लगाया जाता है ताकि इसकी आवाज दूर तक सुनाई दे। दिल्ली और नोएडा जैसे शहरों में इन्हें हाई-अलर्ट जोन में लगाए जाने की संभावना है।

कैसी होती है वार सायरन की आवाज?

वार सायरन एक हाई वॉल्यूम वाला अलर्ट सिस्टम है। इसे लड़ाई या हवाई हमलों जैसी आपात स्थितियों में ध्यान आकर्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें एम्बुलेंस या गाड़ी के हॉर्न की लगातार आवाज के विपरीत एक अलग बढ़ती और घटती हुई चीख होती है। यह पैटर्न लोगों को इसे आपातकालीन चेतावनी के रूप में तुरंत पहचानने में मदद करता है।

वार सायरन की आवाज बहुत तेज होती है। यह आमतौर पर एक चक्रीय पैटर्न को फॉलो करता है। पिच धीरे-धीरे बढ़ती है, फिर गिरती है। ऊपर-नीचे की लय कुछ मिनटों तक दोहराई जाती है। यह पैटर्न इसे तुरंत पहचानने योग्य और सामान्य वाहन या एम्बुलेंस सायरन से अलग बनाता है।

वार सायरन 120 से 140 डेसिबल तक पहुंच सकते हैं। ये एम्बुलेंस सायरन से ज्यादा तेज होते हैं। एम्बुलेंस सायरन की आवाज आमतौर पर 110 से 120 डेसिबल के बीच होती है। वार सायरन की आवाज 5km तक जा सकती है।

वार सायरन की आवाज सुनाई देने पर क्या करें?

बुधवार अगर वार सायरन सुनाई दे तो घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक अभ्यास है। पाकिस्तान के साथ लड़ाई शुरू होने के बाद अगर वार सायरन सुनाई दे तो इसका मतलब है कि खतरा है। अपने और अपने परिवार की रक्षा करें। सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। खुली जगह से दूर रहें।

भारत में आखिरी बार कब बजा था वार सायरन?

  • 1962 में चीन के साथ लड़ाई के दौरान
  • 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई के दौरान
  • 1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान सीमावर्ती इलाके में

उस समय, इन्हें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अमृतसर जैसे शहरों में नागरिकों को आने वाले खतरे के बारे में सचेत करने के लिए लगाया गया था।

वार सायरन बजने पर क्या करें?

  • घबराएं नहीं, खास तौर पर अभ्यास के दौरान।
  • खुले इलाकों से दूर चले जाएं और घर के अंदर शरण लें।
  • किसी सुरक्षित इमारत में जाएं। संभव हो तो तहखाने में शरण लें।
  • टीवी, रेडियो या सरकारी ऐप पर अपडेट लें।
  • अफवाहों से बचें और हमेशा आधिकारिक निर्देशों का पालन करें।
  • पहले सायरन के 5 से 10 मिनट के भीतर सुरक्षित स्थान पर पहुंचना अच्छा रहता है।