India vs China in Space: चीन ने पाकिस्तान को Indo-Pak युद्ध के दौरान Space-Based ISR में सहायता दी। भारत अब 52 सैटेलाइट्स की स्पेस आर्मी बना रहा है। EMISAT, RISAT और NavIC जैसी Indigenous Systems भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाई दे रही हैं।

India China Space War: इंडिया और चाइना की जमीनी लड़ाई अब आसमान से ऊपर ‘स्पेस वॉरफेयर’ (Space Warfare) में तब्दील हो चुकी है। चीन ने हालिया भारत-पाक संघर्ष के दौरान पाकिस्तान को सिर्फ हथियार नहीं दिए बल्कि अपने अत्याधुनिक सैटेलाइट्स से रियल टाइम इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉन (ISR) सपोर्ट भी मुहैया कराया। इसके जवाब में भारत ने अपनी सैन्य और नागरिक स्पेस एसेट्स को एकजुट कर जवाब दिया लेकिन यह सफर अभी लंबा है।

NVS-02 की नाकामी से भारत को झटका, ISRO ने छोड़ा 100वां मिशन

ISRO ने 29 जनवरी 2025 को GSLV Mk-2 से NVS-02 लॉन्च किया था जो भारत के NavIC नेविगेशन सिस्टम (Navigation with Indian Constellation) का अहम हिस्सा है। लेकिन सैटेलाइट के ऑनबोर्ड थ्रस्टर्स फेल हो जाने के कारण इसे अपने लक्ष्य की कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका। NavIC का मकसद भारत और 1500 किमी के दायरे में उच्च स्तरीय पोजिशनिंग सर्विस देना है, जो सैन्य मिशनों के लिए बेहद जरूरी है।

चीन के पास 5000+ सैटेलाइट्स, भारत के पास सिर्फ 218

चीन आज करीब 5330 सैटेलाइट्स के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्पेस पावर बन चुका है जिनमें से करीब 40 Reconnaissance Satellites हैं। Yaogan सीरीज़ के सैटेलाइट्स चीन की PLA को सटीक टारगेटिंग और रियल-टाइम डेटा मुहैया कराते हैं।

Yaogan-41: चीन का सबसे खतरनाक जासूसी सैटेलाइट

Yaogan-41 को चीन ने दिसंबर 2023 में जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में लॉन्च किया था, जो इंडियन ओशन, ताइवान और पूरे साउथ एशिया पर लगातार नजर रखने में सक्षम है। पश्चिमी विश्लेषकों का दावा है कि इससे कार जितनी छोटी वस्तुओं को भी पहचाना जा सकता है।

भारत ने उठाया स्पेस डिफेंस का मोर्चा: EMISAT, RISAT और Kautilya सिस्टम से ISR क्षमता मजबूत

  • EMISAT: चीन के कब्जे वाले तिब्बत (Tibet) में PLA की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारत का प्रमुख ELINT (Electronic Intelligence) सैटेलाइट है।
  • Kautilya: DRDO का बनाया गया 436-kg सैटेलाइट जो दुश्मन के राडार लोकेशन को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल से पहचान सकता है।
  • RISAT सीरीज: RISAT-2B और RISAT-2BR1 जैसे Synthetic Aperture Radar (SAR) सैटेलाइट्स भारत की बॉर्डर सिक्योरिटी और एंटी-टेरर ऑपरेशनों में इस्तेमाल हो रहे हैं।

स्पेस कमांड की तैयारी: 100 से ज्यादा मिलिट्री सैटेलाइट्स लाने की योजना

2019 में बनी Defence Space Agency को एक पूर्णकालिक स्पेस कमांड में बदला जा रहा है। IAF अब IASCCS (Integrated Air and Space Command and Control System) की ओर बढ़ रही है। भारतीय वायुसेना का लक्ष्य है कि आने वाले 7-8 वर्षों में भारत के पास 100+ मिलिट्री सैटेलाइट्स हों।

Tata और प्राइवेट सेक्टर का रोल: 2024 में लॉन्च हुआ पहला मिलिट्री ग्रेड सैटेलाइट

Tata Advanced Systems Ltd ने भारत का पहला प्राइवेट-निर्मित स्पाई सैटेलाइट अप्रैल 2024 में लॉन्च किया। इससे भारत को अमेरिकी डिपेंडेंसी से मुक्ति मिलेगी और स्पेस इमेजरी का अपना नेशनल नेटवर्क तैयार होगा।

Beidou बनाम NavIC: GPS डिपेंडेंसी खत्म करने की रेस

चीन का Beidou-3 सिस्टम 35 सैटेलाइट्स से लैस है और PLA को ग्लोबल ऑपरेशंस में GPS फ्री टारगेटिंग में मदद करता है। वहीं भारत का NavIC अभी शुरुआती अवस्था में है लेकिन अगर यह सफल होता है तो ये पूरे साउथ एशिया में भारत को स्ट्रेटेजिक बढ़त देगा।