ऑपरेशन सिंदूर के बाद थरूर की वापसी पर हाईकमान ने चेतावनी दी है. केंद्र सरकार थरूर को विदेशी मामलों में भूमिका देने पर विचार कर रही है, जबकि पार्टी में उनके भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं.
तिरुवनंतपुरम: ऑपरेशन सिंदूर के बाद लौटे शशि थरूर समेत कई नेताओं को हाईकमान ने चेतावनी दी है कि वे पार्टी को असहज करने वाले बयान ना दें. पार्टी नेतृत्व के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की नेताओं की इच्छा पर भी हाईकमान ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. इस बीच, केंद्र सरकार थरूर को विदेशी मामलों में अहम भूमिका देने के लिए एक समिति बनाने पर विचार कर रही है. हाईकमान के सख्त रुख के बीच, पार्टी के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने थरूर का समर्थन किया है.
पार्टी द्वारा दरकिनार किए जाने के बावजूद, ऑपरेशन सिंदूर के प्रमुख चेहरे के तौर पर थरूर को प्रधानमंत्री के साथ हुई मुलाकात में काफी तवज्जो मिली. उन्होंने देश की सेवा का मौका देने के लिए प्रधानमंत्री का आभार भी जताया. थरूर के विदेश दौरे से वापसी के बाद उनके रुख को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, तभी हाईकमान ने उन्हें किनारे करने की कोशिश की.
दौरे पर गए नेताओं में से सिर्फ़ आनंद शर्मा से ही हाईकमान ने मुलाकात कर जानकारी ली. बताया जा रहा है कि शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी को समय नहीं दिया गया. वापसी के बाद इन नेताओं ने पार्टी नेतृत्व के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की इच्छा जताई थी, लेकिन हाईकमान ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया. उल्टा, AICC मुख्यालय से नेताओं को पार्टी विरोधी बयानबाजी ना करने का संदेश भेजा गया.
हाईकमान के सख्त रुख के बीच, पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकारिणी सदस्य तारिक अनवर ने शशि थरूर का समर्थन किया है. उन्होंने एशियानेट न्यूज़ से कहा कि थरूर एक अनुशासित नेता हैं और उन्होंने पार्टी लाइन का उल्लंघन नहीं किया है. उन्होंने यह भी कहा कि थरूर को ऑपरेशन सिंदूर से दूर रखने की कोशिश की गई, जबकि उन्हें विदेशी मामलों की गहरी समझ है.
विदेशी संबंधों को मजबूत करने के लिए सांसदों की एक स्थायी समिति बनाने पर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विचार चल रहा है. इसमें शशि थरूर को अहम भूमिका देने की बात है. देशभक्ति का हवाला देकर अगर थरूर यह प्रस्ताव स्वीकार कर लेते हैं, तो हाईकमान के लिए यह दोधारी तलवार जैसी स्थिति होगी.