बेंगलुरु में गूगल कर्मचारी को हिंदी बोलने पर पार्किंग से रोका गया। क्या क्षेत्रीय भाषाओं का महत्व कम हो रहा है और अंग्रेजी ही भविष्य की भाषा है?
Bengaluru News: बेंगलुरु स्थित गूगल के ऑफिस में काम करने वाले तकनीकी विशेषज्ञ अर्पित भयानी को हिंदी बोलने के चलते भेदभाव का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि हिंदी में बात करने के चलते स्थानीय लोगों ने उन्हें पार्किंग देने से मना कर दिया।
हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना से कोई परेशानी नहीं है। X पर अर्पित भयानी ने पोस्ट किया, "आज मुझे सिर्फ इसलिए पार्किंग की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि मैंने उससे हिंदी में कहा था कि वह किनारे हट जाए। जो हुआ, उससे मैं सहमत हूं, लेकिन मेरी बात सुनिए दोस्तों। भाषा और संस्कृति के संरक्षण की बात करने वाले सभी लोगों से चाहे वे महाराष्ट्र, कर्नाटक या किसी अन्य राज्य में हों क्या आप वास्तव में अपने बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने वाले स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं, या वे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ रहे हैं?"
अंग्रेजी को आम भाषा के रूप में अपनाने की वकालत
भयानी ने कहा कि अंग्रेजी जल्द ही देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा बन जाएगी। उन्होंने लिखा, "आज की युवा पीढ़ी अपनी मातृभाषा की तुलना में अंग्रेजी में बात करने में ज्यादा सहज है। शहरों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी यह चलन तेजी से बढ़ रहा है। हम उस समय से बस कुछ ही पीढ़ियों दूर हैं जब अंग्रेजी पूरे देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा बन जाएगी।"
भयानी कहा कि लोग पहले से ही अंग्रेजी का बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं - मैसेज टाइप करना, संकेत, विज्ञापन, लेबल और निर्देश पढ़ना। उन्होंने बताया कि कानूनी और वित्तीय दस्तावेज, ऐप, वेबसाइट, मेनू और यहां तक कि फिल्म पोस्टर भी मुख्य रूप से अंग्रेजी में होते हैं।