सार
Success Story: मुश्किल हालात और आर्थिक तंगी के बावजूद गोंदिया के रामदास हेमराज मारबदे ने मेहनत और हौसले के दम पर ISRO में नौकरी हासिल की। गोलगप्पे बेचते हुए पढ़ाई करने वाले रामदास अब इसरो के टेक्नीशियन डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं।
Success Story: कहते हैं राह में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों अगर आप अपनी मेहनत और हौसले पर अडिग हैं तो आपको मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। कुछ ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के तिरोड़ा तहसील के गांव खैरबोड़ी के नंदन नगर के रहने वाले रामदास हेमराज मारबदे की। रामदास ने मेहनत और खुद पर भरोसे के दम पर अपनी जिंदगी बदल डाली। आज उन्होंने देश की प्रतिष्ठित संस्था ISRO में नौकरी हासिल कर ली है। वह अब इसरो के टेक्नीशियन डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
स्कूल में चपरासी का काम करते थे पिता
रामदास हेमराज मारबदे की कहानी आज लोगों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने बताया कि उनके पिता भंडारा जिले के तुमसर तहसील के मोहड़ी गांव में स्थित डोंगरगांव जिला परिषद स्कूल में चपरासी थे और अब रिटायर हो चुके हैं। उनकी मां एक गृहिणी हैं। उन्होंने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए रामदास ने दिन में गोलगप्पे बेचे और रात में पढ़ाई की।
इसरो में नौकरी का देखा सपना
अपनी पारिवारिक स्थिति की परवाह किए बिना रामदास ने इसरो में नौकरी का सपना देखा। उन्होंने इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, तिरोड़ा से पंप ऑपरेटर-कम-मैकेनिक का कोर्स किया। इस दौरान उन्होंने सेंट्रीफ्यूगल और रिसीप्रोकेटिंग पंप, तरल प्रवाह, दबाव, हेड, कैविटेशन, जल शुद्धिकरण, तेल और गैस की मरम्मत और देखरेख से जुड़ी तकनीकी ट्रेनिंग ली।
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ऐसे मिली सफलता
रामदास हेमराज मारबदे ने 2023 में ISRO की अप्रेंटिस ट्रेनी भर्ती के लिए आवेदन किया। 2024 में नागपुर में रिटर्न टेस्ट पास किया और 29 अगस्त को श्रीहरिकोटा में स्किल टेस्ट देकर चयनित हो गए। 19 मई 2025 को उन्हें जॉइनिंग लेटर मिला और अब वे इसरो के श्रीहरिकोटा केंद्र में पंप-ऑपरेटर-कम-मैकेनिक के पद पर कार्यरत हैं।