सार

मोदी सरकार की बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में ई-सिगरेट पर बैन लगाने का फैसला लिया गया। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कैबिनेट बैठक में ई-सिगरेट पर भी बैन लगाने का फैसला किया है। 

नई दिल्ली. मोदी सरकार की बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में ई-सिगरेट पर बैन लगाने का फैसला लिया गया। बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह जानकारी दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि कैबिनेट बैठक में ई-सिगरेट पर भी बैन लगाने का फैसला किया है। इसके उत्पादन, बनाने, निर्यात-आयात, ट्रांसपोर्ट और बिक्री पर भी रोक रहेगी। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध की वकालत की थी।

सरकार ने साफ कर दिया कि ई-हुक्का पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है। सरकार ने साफ कर दिया, पहली बार इसका इस्तेमाल करने पर आरोपी को 1 साल की सजा या एक लाख का जुर्माना या दोनों हो सकती है। लेकिन अगर कोई बार-बार इसका इस्तेमाल करता है तो 5 लाख तक जुर्माना या 3 साल की कैद या दोनों हो सकती है।

भारत में नहीं होता उत्पादन- सीतारमण
सीतारमण ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि जिन्हें ई-सिगरेट की आदत है, वे कहते हैं कि इससे वे कूल दिखते हैं। बताया जाता है कि बाजार में ई-सिगरेट के 400 ब्रांड बाजार में हैं, लेकिन कोई भी भारत में नहीं बनता। ई-सिगरेट 150 से ज्यादा फ्लेवर में आती है।

क्या है ई-सिगरेट और इसके क्या नुकसान हैं

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ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट है। यह बैटरी से चलती है। आज कल युवा इसका काफी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे धुम्रपान वाले तम्बाकू उत्पादों का एक विकल्प है। अब तक ई-सिगरेट को सेफ माना जाता था और जो लोग निकोटिन छोड़ना चाहते थे, वे ई-सिगरेट पीने का विकल्प अपनाते थे। लेकिन इस पर रोक लगाने की मांग उठती रही है। 

हाल ही में हुए एक रिसर्च से पता चला था कि ई-सिगरेट भी फेफड़े को उतना ही नुकसान पहुंचाता है, जितना कि सामान्य सिगरेट, जबकि ई-सिगरेट में निकोटिन नहीं होता। यह रिसर्च स्टडी अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में स्थित बेलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में हुई। इस स्टडी में यह पाया गया है कि ई-सिगरेट के इस्तेमाल से लंग्स के फंक्शन पर नेगेटिव इम्पैक्ट पड़ता है। इससे जो वेपर्स निकलते हैं, जिसे इनहेल करने पर किसी को सिगरेट पीने जैसा एहसास होता है, लेकिन वे लंग्स के इम्यून सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे लंग्स में वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।