सार
Election Commission: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की बर्न मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) के वेरिफिकेशन प्रक्रियाओं के बारे में जवाब मांगा है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वेरिफिकेशन के दौरान किसी भी डेटा को मिटाया या फिर से लोड न किया जाए।
चुनाव निगरानी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते समय सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को ये निर्देश दिए। ADR ने आरोप लगाया है कि EVM वेरिफिकेशन के लिए चुनाव आयोग द्वारा तैयार SOP सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल 2024 के फैसले का पालन नहीं करती।
CJI संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव आयोग के वेरिफिकेशन मैकेनिज्म की जांच की। सीजेआई खन्ना ने सवाल किया कि चुनाव आयोग जांच के दौरान डेटा क्यों मिटा या फिर से लोड कर रहा है। उन्होंने कहा, "डेटा मिटाएं नहीं। डेटा को फिर से लोड न करें। हमने केवल इतना निर्देश दिया था कि एक इंजीनियर आकर आवेदक-उम्मीदवारों की मौजूदगी में प्रमाणित करे कि माइक्रोचिप के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है।"
सुप्रीम कोर्ट ने मॉक पोल पर जताई आपत्ति
बेंच ने चुनाव आयोग द्वारा वेरिफिकेशन के लिए “मॉक पोल” किए जाने पर आपत्ति जताई। इसपर एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मॉक पोल ईवीएम की फोरेंसिक जांच का विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि कोई व्यक्ति ईवीएम के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की जांच करे ताकि यह पता चल सके कि उनमें किसी तरह की हेराफेरी की गई है या नहीं।”
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सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम वेरिफिकेशन के लिए 40,000 फीस लेने पर सवाल उठाया
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम वेरिफिकेशन के लिए चुनाव आयोग द्वारा लिए जाने वाले 40,000 रुपए शुल्क पर सवाल उठाया और इसे "बहुत अधिक" बताया। याचिकाकर्ताओं के वकील देवदत्त कामत ने बताया कि ईवीएम की कीमत 30,000 रुपए से कम है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह लागत कम करने का निर्देश दिया।
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