सार
European Union chief Ursula von der Leyen India visit: यूरोपीयन यूनियन (EU) की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन दो दिन की यात्रा पर भारत आ रहीं हैं। उनकी बातचीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होगी। इस दौरान व्यापार और टैरिफ, खासकर शराब और कारों पर एजेंडे में सबसे ऊपर होंगे।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ को लेकर यूरोप के देशों को कड़ी बातें सुना रहे हैं। इस बीच EU प्रमुख की भारत यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के राजदूत हर्वे डेल्फिन ने कहा कि यह यात्रा दोनों क्षेत्रों के संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है। यह यूरोपीय संघ और भारत के संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण सप्ताह होगा।
भारत और यूरोप के बीच व्यापार व टैरिफ पर होगी बात
यूरोपीय संघ प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत करेंगी। यात्रा से पहले, वॉन डेर लेयेन ने भारत को यूरोपीय संघ के "सबसे भरोसेमंद मित्रों और सहयोगियों में से एक" बताया है। उन्होंने कहा कि "भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के इस युग में, यूरोप खुलेपन, साझेदारी और आउटरीच के लिए खड़ा है।"
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उर्सुला वॉन और नरेंद्र मोदी के बीच होने वाली बातचीत का मुख्य एजेंडा मुक्त व्यापार समझौते और यूरोपीय संघ-भारत व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) का जायजा लेना होगा।
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भारत और यूरोपीय संघ के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध हैं। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत और EU के बीच 2023 में 124 बिलियन यूरो (11 लाख करोड़ रुपए) मूल्य का कारोबार हुआ। यह भारत के कुल व्यापार का 12 प्रतिशत से अधिक है। भारत और यूरोप के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत 2022 में फिर से शुरू हुई थी। अगले दौर की बातचीत 10-15 मार्च को ब्रुसेल्स में होने वाली है।
मुक्त व्यापार समझौते के साथ-साथ दोनों पक्ष ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल (टीटीसी) पर भी चर्चा करेंगे। 2022 में औपचारिक रूप से घोषित टीटीसी डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वच्छ प्रौद्योगिकी, व्यापार और निवेश पर चर्चा करने का एक मंच है।
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कार और वाइन पर टैरिफ मामले पर भी होती बात
EU प्रमुख और प्रधानमंत्री के बीच होने वाली बातचीत में टैरिफ भी बड़ा मुद्दा होगा। यूरोप के देश भारत द्वारा कार, वाइन और स्पिरिट जैसे सामानों के आयात पर लगाए जाने वाले टैरिफ को कम कराने की कोशिश में हैं। यूरोपीय संघ चीन से जोखिम कम करना चाहता है। इसके लिए वह भारत की ओर देख रहा है खासकर वाइन और व्हिस्की जैसी वस्तुओं के मामले में। इसके बदले भारत यूरोपीय संघ के सेवा क्षेत्र के साथ बेहतर एकीकरण की तलाश कर रहा है। भारत की कोशिश अपने कुशल श्रमिकों के लिए अधिक अवसर पैदा करने की है।