नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर रैपिड रेल (Delhi NCR Rapid Rail) प्रोजेक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल से 3 साल का हिसाब मांगा।
दिल्ली सरकार के वकील ने पीठ को बताया कि धन की कमी है। सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए पैसे देने में असमर्थ है। इसपर कोर्ट ने कहा, "आप चाहते हैं कि हम जानें कि आप कौन सा फंड कहां खर्च कर रहे हैं। विज्ञापन के लिए रखी सारी धनराशि इस परियोजना के लिए डायवर्ट की जाए। आप इस प्रकार का ऑर्डर चाहते हैं? आप इसके लिए पूछ रहे हैं।"
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगा तीन साल के बजट का ब्योरा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई और कहा कि आपके पास विज्ञापन पर खर्च के लिए पैसे हैं, लेकिन रेल प्रोजेक्ट के लिए नहीं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से तीन साल के बजट का ब्योरा मांगा है। इस बात की जानकारी देने के लिए कहा है कि पिछले तीन साल में दिल्ली सरकार ने विभिन्न परियोजना के विज्ञापनों पर कितना खर्च किया है।
विज्ञापनों के लिए पैसे हैं RRTS के लिए नहीं
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, "अगर आपके पास विज्ञापनों के लिए पैसे हैं तो ऐसे प्रोजेक्ट के लिए धन क्यों नहीं हैं जिससे सुचारू परिवहन सुनिश्चित होगी।” कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह पिछले तीन वित्तीय वर्षों में RRTS के विज्ञापनों पर किए गए खर्च का विस्तृत ब्यौरा दे।
सेमी हाई स्पीड रेल कोरिडोर है RRTS
गौरतलब है कि दिल्ली-मेरठ रिजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) एक सेमी हाई स्पीड रेल कोरिडोर है। इसका अभी निर्माण चल रहा है। यह कोरिडोर दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा। रेपिड एक्स प्रोजेक्ट के तहत प्लान किया गया यह तीन रैपिड रेल कोरिडोर में से एक है। यह फेज वन का प्रोजेक्ट है।