सार
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा अनधिकृत कॉलोनियों में शराब की दुकानें खोलने के फैसले को पलटने की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। दूसरी ओर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण और उप आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी समेत 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
नई दिल्ली। दिल्ली में शराब नीति को लेकर आम आदमी पार्टी और भाजपा आमने सामने है। शनिवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अनअधिकृत इलाके में शराब की दुकानें खोलने पर पहले एलजी को आपत्ति नहीं थी, लेकिन दुकानें खुलने के ठीक पहले उन्होंने अपना रुख बदल लिया था। उन्होंने इस संबंध में सीबीआई जांच की मांग की है। इसके जवाब में भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को भी शराब बेचने की अनुमति दी थी।
इस बीच बीच उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 (Excise Policy 2021-22) के क्रियान्वयन में गंभीर चूक करने पर दिल्ली के तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण और उप आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी समेत 11 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि तीन ad-hoc DANICS अधिकारियों और दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग के छह अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है।
एलजी ने आबकारी नीति के कार्यान्वयन में संबंधित अधिकारियों की ओर से गंभीर चूक के मद्देनजर कार्रवाई की है। अधिकारियों द्वारा की गई गलतियों में निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को पोस्ट-टेंडर लाभ प्रदान करना शामिल है। सतर्कता निदेशालय (डीओवी) द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने कार्रवाई की।
सिसोदिया ने की सीबीआई जांच की मांग
दिल्ली सरकार द्वारा अपनी नई शराब नीति को रद्द करने के फैसले की घोषणा के एक सप्ताह बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पत्र लिखकर जांच का अनुरोध किया है। पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर अनिल बैजल ने अनाधिकृत कॉलोनियों में दुकानें खोलने के फैसले को अचानक बदला था। उन्होंने यह फैसला किसके कहने पर लिया, इसकी जांच होनी चाहिए।
सिसोदिया ने कहा कि अनधिकृत कॉलोनियों में शराब की दुकानें खोलने पर पहले पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर राजी थे। उन्होंने इसकी स्वीकृति दी थी। दुकानें खुलने के ठीक पहले उन्होंने अपना फैसला बदल दिया। इससे दिल्ली सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ। सिसोदिया ने कहा, “मई 2021 में कैबिनेट ने नई आबकारी नीति पारित की। हमने कहा कि शराब की दुकानों की संख्या वही रहेगी, लेकिन पूर्व की नीति में दुकानों का वितरण असमान था। कुछ वार्डों में 20-25 दुकानें थीं, कुछ में एक भी नहीं थी। कुछ मॉल में कई दुकानें थीं। नई नीति में यह सिद्धांत अपनाया गया कि दुकानों का समान वितरण होगा, लेकिन दुकानों की संख्या नहीं बदलेगी।”
सिसोदिया ने कहा कि नीति को मंजूरी के लिए एलजी के पास भेजा गया था और उन्होंने बदलाव के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। एल-जी के सभी सुझावों को स्वीकार कर लिया गया था और नई नीति जून में एलजी को भेजी गई थी। उन्होंने इसे ध्यान से पढ़ा और फिर इसे पास कर दिया गया। नीति में कहा गया है कि असमान वितरण को रोका जाएगा। अनधिकृत क्षेत्रों सहित हर वार्ड में दो से तीन दुकानें होंगी। एल-जी ने नीति पढ़ी और फिर उसे मंजूरी दी। स्वीकृति के बाद टेंडर जारी किए गए। लेकिन जब दुकानें खोलने की बात आई तो उपराज्यपाल ने अपना रुख बदल लिया। इससे दिल्ली सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ।