सार
Delhi Earthquakes: दिल्ली-एनसीआर के लोग सोमवार सुबह भूकंप के झटके से सहम गए। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 4.0 थी। भूकंप के झटके नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, नोएडा और अन्य इलाकों में महसूस किए गए। डर के मारे लोग घरों से निकलकर सड़क पर आ गए। भूकंप का केंद्र 5km की गहराई में था। गहराई कम होने से झटके तेज महसूस हुए।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं?
दिल्ली और इसके आसपास के इलाके भूकंप के लिए बेहद संवेदनशील हैं। इसकी वजह जमीन के नीचे की स्थिति है। दिल्ली समतल भूमि पर स्थित नहीं है। हिमालय पहाड़ के करीब होने के चलते यह उच्च भूकंपीय क्षेत्र है। उत्तर भारत में आने वाला कोई भी भूकंप आमतौर पर दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में महसूस किया जाता है। भारत में भूकंपीय क्षेत्रों को 4 कैटेगरी में बांटा गया है, जोन II, जोन III, जोन IV और जोन V। जोन V सबसे संवेदनशील है। दिल्ली जोन IV में स्थित है।
दिल्ली और इसके आसपास के इलाके में ज्यादा भूकंप आने की वजह एशियाई और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेटों का टकराना है। इन दो प्लेटों के बीच टक्कर के चलते हिमालय पहाड़ बना है। इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट एशियाई प्लेट के बीच लगातार टकराव हो रहा है। इससे हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है। इससे हिमालय के आसपास का पूरा इलाका भूकंप को लेकर संवेदनशील बना हुआ है।
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धौला कुआं में था भूकंप का केंद्र, सुनाई दी गड़गड़ाहट की आवाज
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार सुबह करीब 5.35 बजे आए भूकंप का केंद्र धौला कुआं में दुर्गाबाई देशमुख कॉलेज ऑफ स्पेशल एजुकेशन के पास था। भूकंप के दौरान गड़गड़ाहट की आवाज भी सुनाई दी। इससे लोग ज्यादा डर गए। इसी वजह भूकंप की कम गहराई हो सकती है। टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल और ऊर्जा के कई विस्फोटों के कारण पैदा होने वाली आवाज जमीन से ऊपर तक आ गई। धौला कुआं क्षेत्र के पास एक झील है। यहां हर दो से तीन साल में एक बार कम तीव्रता वाला भूकंप आता है। 2015 में यहां 3.3 तीव्रता का भूकंप आया था।