Defence Procurement Manual 2025: भारत के रक्षा इतिहास में बड़ा कदम, राजनाथ सिंह ने रक्षा खरीद मैनुअल 2025 को मंजूरी दी। 1 लाख करोड़ के बजट से सेना को मिलेंगे आधुनिक उपकरण, लेकिन सवाल ये-क्या यह आत्मनिर्भर भारत का गेम-चेंजर साबित होगा?
Rajnath Singh Defence Reforms: भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डिफेन्स प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 (Defence Procurement Manual 2025) को मंजूरी देकर देश की सुरक्षा नीति में नया अध्याय जोड़ दिया है। लगभग 1 लाख करोड़ रुपए के बड़े बजट के साथ यह सुधार भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत (Self-Reliant India) के सपने को भी मजबूती देगा।
Defence Procurement Manual 2025 क्यों है इतना अहम?
डिफेन्स प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 भारतीय सेना की खरीद प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और तेज बनाने के लिए लाया गया है। अब तक रक्षा उपकरणों की खरीद में जटिल प्रक्रिया और देरी सबसे बड़ी बाधा रही है। यह नया मैनुअल उस बाधा को खत्म करेगा। इससे सैन्य बलों की तात्कालिक जरूरतें तेजी से पूरी होंगी और भारत अपनी सुरक्षा नीति को और मजबूत बना पाएगा।
क्या 1 लाख करोड़ का बजट बदलेगा भारत की सैन्य तस्वीर?
रक्षा मंत्रालय ने इस बार लगभग ₹1,00,000 करोड़ का राजस्व प्रोक्योरमेंट बजट तय किया है। यह आंकड़ा न सिर्फ बड़ा है बल्कि यह दिखाता है कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर गंभीरता से बढ़ रहा है।
क्या डिफेंस मैनुअल से स्टार्टअप्स और MSMEs को मिलेगा असली फायदा?
नए मैनुअल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें स्टार्टअप्स और MSMEs को बड़ा मौका देने का वादा किया गया है। घरेलू उद्योग, शिक्षा संस्थान और अनुसंधान केंद्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
क्या आत्मनिर्भर भारत का सपना अब होगा सच?
‘आत्मनिर्भर भारत’ की नीति के तहत लंबे समय से रक्षा क्षेत्र में सुधार की मांग उठ रही थी। विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना भारत की सबसे बड़ी चुनौती रही है। अगर यह मैनुअल सही तरीके से लागू होता है तो न केवल रक्षा उत्पादन (Defence Production) बल्कि रिसर्च एंड इनोवेशन भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।
क्या वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय का सामंजस्य लाएगा पारदर्शिता?
डिफेन्स प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 (Defence Procurement Manual 2025) को वित्त मंत्रालय के प्रोक्योरमेंट मैनुअल के अनुरूप बनाया गया है। इससे सरकारी खरीद प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और एकरूपता आएगी। ये निश्चित रूप से भारत के रक्षा इतिहास का एक बड़ा मील का पत्थर है। यह न सिर्फ सेना को आधुनिक बनाएगा बल्कि घरेलू उद्योग और स्टार्टअप्स को भी आगे बढ़ाएगा। हालांकि, असली चुनौती इसके प्रभावी इंप्लीमेंटेशन (Implementation) में है। अब पूरी दुनिया की नजर इस पर होगी कि क्या भारत इस सुधार के जरिए रक्षा महाशक्ति बनने की दिशा में वास्तविक कदम बढ़ा पाएगा।