सार
मध्यप्रदेश में पिछले 1 हफ्ते से जारी सियासी ड्रामा अभी भी जारी है। पहले माना जा रहा था कि इसका अंत सोमवार को फ्लोर टेस्ट के साथ हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मध्यप्रदेश विधानसभा को 10 दिन यानी 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है।
भोपाल. मध्यप्रदेश में पिछले 1 हफ्ते से जारी सियासी ड्रामा अभी भी जारी है। पहले माना जा रहा था कि इसका अंत सोमवार को फ्लोर टेस्ट के साथ हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मध्यप्रदेश विधानसभा को 10 दिन यानी 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया है। स्पीकर एनपी प्रजापति ने सदन को कोरोना वायरस के चलते 10 दिन के लिए स्थगित कर दिया। यानी अब कमलनाथ को 10 दिन के लिए समय मिल गया है।
दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है। इससे अब तक 6500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन यही कोरोना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए वरदान साबित हुआ। कोरोना के चलते विधानसभा स्थगित होने के चलते अब कमलनाथ के पास बहुमत साबित करने के लिए 10 दिन का वक्त है। 22 विधायकों के बागी सुरों के बाद माना जा रहा है कि कमलनाथ सरकार के पास बहुमत नहीं है।
मध्य प्रदेश में कब और कहां से शुरू हुआ राजनीति ड्रामा?
मध्य प्रदेश में ड्रामे की शुरुआत 4 मार्च को हुई थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, भाजपा उनके विधायकों को दिल्ली ले जा रही है। कांग्रेस ने दावा किया कि उनके 6 विधायक, बसपा के 2 और एक निर्दलीय विधायक को गुरुग्राम के एक होटल में बंधक बनाया गया है। हालांकि, 1 दिन बाद 6 विधायक लौट आए। इनमें 2 बसपा और 1 सपा का विधायक भी शामिल था। हालांकि, चार विधायक फिर भी लापता रहे, उनमें से एक ने हरदीप सिंह डंग ने इस्तीफा भी दे दिया।
9 मार्च को सिंधिया ने की बगावत
मध्यप्रदेश में 9 मार्च को ड्रामा और तेज तब हो गया, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 22 कांग्रेसी विधायक अचानक भोपाल से बेंगलुरु चले गए। इन 22 विधायकों में से 6 कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे। इसके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया और 11 मार्च को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इससे पहले 10 मार्च को सिंधिया खेमे के 22 विधायकों ने अपना त्याग पत्र राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष को भेजा था। जिसके बाद से प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार संकट में घिरी हुई है।
वहीं, भाजपा के पास 107 विधायक हैं। इस घटनाक्रम के बाद भाजपा ने अपने 105 विधायकों को गुरुग्राम के एक होटल में भेज दिया था। वहीं, कांग्रेस ने अपने बाकी विधायकों को जयपुर भेज दिया है। इस वक्त कांग्रेस और भाजपा दोनों के विधायक भोपाल लौट आए हैं। लेकिन अभी सिंधिया खेमे के बागी विधायक कर्नाटक में ही हैं।
मध्यप्रदेश में क्या है स्थिति?
मध्य प्रदेश में कुल विधानसभा सीटें- 230
दो विधायकों को निधन के बाद यह संख्या- 228
22 विधायकों ने इस्तीफा सौंपा, इनमें से 6 के मंजूर हुए, 16 के इस्तीफों पर अभी फैसला नहीं
अब संख्या- 222, बहुमत के लिए चाहिए-112
भाजपा के पास- 107
कांग्रेस के पास- 99 (4- निर्दलीय, 2- बसपा, 1- सपा)