Cloud Seeding Will Be Conducted In Delhi: राजधानी दिल्ली में क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया इस महीने के लास्ट तक शुरू होने की संभावना है। यह कोशिश पांच जगहों पर की जाएगी लेकिन ये जगहें तभी तय होंगी जब वहां बादल और नमी मौजूद होंगे। यह जानकारी अधिकारियों ने सोमवार को दी। अधिकारियों ने यह भी बताया कि सुरक्षा कारणों से लुटियंस दिल्ली और इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आसपास क्लाउड सीडिंग नहीं की जाएगी।
क्या है क्लाउड सीडिंग?
क्लाउड सीडिंग एक मौसम परिवर्तन तकनीक है जिसके जरिए बादलों की बारिश कराने की क्षमता को बढ़ाया जाता है। इसका उद्देश्य खास तौर पर प्रदूषण को कम करना है। इस प्रक्रिया के तहत अलग-अलग दिनों में ट्रायल किए जाएंगे। IIT कानपुर के मनिंद्र अग्रवाल ने बताया, “हम उन जगहों पर ट्रायल करना चाहते हैं जहां पर्याप्त बादल और नमी मौजूद हो। इसलिए पहले से स्थान तय करना संभव नहीं है। पांचों स्थानों का चयन इस बात पर निर्भर करेगा कि कहाँ नमी और बादल पहले से मौजूद हैं।”
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दिल्ली सरकार ने IIT कानपुर को दी ये जिम्मेदारी
दिल्ली सरकार ने IIT कानपुर को यह जिम्मेदारी दी है कि वह दिल्ली में कृत्रिम बारिश के इन ट्रायल्स को पूरा करे। यानी IIT कानपुर की टीम ही यह जांच करेगी कि कहाँ और कैसे क्लाउड सीडिंग की जाए ताकि बारिश करवाई जा सके।
दिल्ली कैबिनेट ने 7 मई को क्लाउड सीडिंग के पांच परीक्षण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना पर टोटल ₹3.21 करोड़ खर्च किए जाएंगे। यह परीक्षण मई के अंत और जून की शुरुआत में किए जाएंगे ताकि वायु गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके और प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।