सार
नई दिल्ली. चंद्रयान 3 की सफलता के बाद चंद्रयान 4 मिशन पर काम चल रहा है। इस बीच, चंद्रयान 5 मिशन भी तैयार हो रहा है। यह चंद्रयान 5 मिशन दुनिया को कई अचंभे में डाल सकता है। क्योंकि पहली बार इसरो और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) मिलकर चांद पर पानी ढूंढने की कोशिश करेंगे। चंद्रयान 3 चांद के उस साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंड हुआ था जहाँ पहले कोई नहीं पहुँचा था। अब इसी जगह पर भारत ड्रिलिंग करके पानी की खोज करेगा।
भारत का इसरो और जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन साथ मिलकर चला रहे हैं। यह किसी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ इसरो का सबसे बड़ा मिशन है। जापान का H3 रॉकेट इस रिसर्च के लिए इस्तेमाल होगा।
क्या चांद पर पानी है?
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या चांद पर पानी है। यह चांद पर सिर्फ़ मिट्टी के कणों का अध्ययन करने वाला मिशन नहीं है। जैसे धरती पर बोरवेल या कुआँ खोदकर पानी निकाला जाता है, वैसे ही चांद पर भी ड्रिलिंग करके पानी की खोज की जाएगी। इस मिशन से पता चलेगा कि चांद पर पानी है या बर्फ़।
चंद्रयान 5 में 6.5 टन पेलोड
चंद्रयान 5 मिशन में पेलोड की क्षमता 6.5 टन है। इसमें 250 किलो का रोवर भी शामिल है। चंद्रयान 3 के प्रज्ञान रोवर से 10 गुना भारी रोवर चंद्रयान 5 में इस्तेमाल होगा। इसके अलावा, पानी का पता लगाने वाले उपकरण, रडार, 1.5 मीटर ड्रिलर, पानी मिलने पर उसकी गुणवत्ता जांचने की तकनीक, और रिसर्च के लिए ज़रूरी सभी चीज़ें इसमें होंगी।