नई दिल्ली। बिहार (Bihar) में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के बाद बीजेपी (BJP) का शीर्ष नेतृत्व काफी सतर्क हो चुका है। बिहार की राजनीति पर नए सिरे से रणनीति बनाने के लिए मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने बिहार पार्टी यूनिट के साथ मीटिंग की है। नीतीश कुमार के बीजेपी का साथ छोड़ने से देश के एक बड़े राज्य में भगवा दल सत्ता विहीन हो चुका है जिसका असर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में देखा जा सकता है।
बिहार के दिग्गजों के साथ किया शीर्ष नेतृत्व ने मंथन
मीटिंग उस समय हुई जब नीतीश कुमार ने अपने कैबिनेट का विस्तार किया है। बीते दस अगस्त को नीतीश कुमार ने सीएम पद और तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली थी। दोनों ने मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई थी। मंगलवार को हुए नए मंत्रिमंडल विस्तार में अब 31 मंत्री हैं। इसमें राजद को मंत्रिमंडल में बड़ा हिस्सा मिला है। मीटिंग में पार्टी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष भी शामिल हुए। इस मीटिंग में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय और पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद और सुशील मोदी शामिल थे। इसके अलावा भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी और राज्य सरकार में पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन भी शामिल हुए।
लोकसभा चुनाव को लेकर परेशान है बीजेपी
दरअसल, बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। हिंदी भाषी बेल्ट में यूपी के बाद बिहार में लोकसभा की सबसे अधिक सीटें हैं। नीतीश कुमार की जदयू और बीजेपी गठबंधन का यहां की अधिकतर सीटों पर कब्जा है। चूंकि, अचानक से नीतीश कुमार का साथ छोड़ने के बाद बीजेपी के लिए एक मजबूत पार्टनर खोजना बहुत टेढ़ी खीर साबित हो रही है। अब बीजेपी नए सिरे से अपनी भूमिका पर मंथन करने के साथ लोकसभा 2024 के लिए रणनीति बना रही है।
बीजेपी अब राज्य में विपक्षी दल के रूप में अपनी भूमिका और उठाए जाने वाले मुद्दों, बिहार भाजपा के नए अध्यक्ष के चयन के अलावा विधानसभा और विधान परिषद में विपक्ष के नेता के नाम पर चर्चा की। पार्टी नेतृत्व ने भाजपा की भविष्य की कार्रवाई और 2024 के लोकसभा चुनावों की रणनीति पर भी विचार-विमर्श किया।
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