Anti Terror Fatwa India: डॉ. उमर अहमद इलियासी ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा फतवा जारी करते हुए कहा कि भारत में मारे गए आतंकियों की न तो नमाज-ए-जनाज़ा पढ़ाई जाएगी और न ही उन्हें देश की मिट्टी में दफनाया जाएगा।
Anti Terror Fatwa India: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम (Pahalgam) में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले में 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की जान गई थी। इसके बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर दौड़ गई और भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के जरिए आतंक के अड्डों पर निर्णायक कार्रवाई की है। देश पूरी एकजुटता के साथ आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है। इस एकजुटता के बीच इमामों के संगठन ने बड़ा ऐलान किया है।
ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन (All India Imam Organization) के प्रमुख डॉ. उमर अहमद इलियासी (Dr. Umar Ahmed Ilyasi) ने एक कड़ा और ऐतिहासिक फतवा जारी कर आतंकवाद के खिलाफ इस्लामिक दृष्टिकोण को साफ कर दिया है। उन्होंने आतंकवादियों के जनाज़े पर नमाज़ पढ़ने से मनाही करने के साथ कब्र तक देने के खिलाफ फतवा जारी किया है।
जनाज़े की नमाज़ से इनकार, भारत की मिट्टी में दफनाने से मना
डॉ. इलियासी ने स्पष्ट कहा कि भारत में मारे गए किसी भी आतंकवादी के जनाज़े की नमाज़ कोई इमाम या काज़ी नहीं पढ़ाएगा। ऐसे लोगों को भारत की ज़मीन पर दफन होने की जगह नहीं मिलेगी। उन्होंने आतंकवाद को इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए कहा कि इस्लाम अमन, शांति और इंसानियत का धर्म है और जो लोग निर्दोष लोगों की जान लेते हैं, वे इस्लाम के दुश्मन हैं।
धार्मिक नेतृत्व की भूमिका में बदलाव
यह फतवा ऐसे समय पर आया है जब भारत आतंकवाद के खिलाफ 'Zero Tolerance' नीति पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूती से खड़ा है। डॉ. इलियासी का यह बयान केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त संदेश है कि भारत के मुसलमान आतंकवाद का समर्थन नहीं करते।
सामाजिक संगठनों और नेताओं की सराहना
डॉ. इलियासी के इस ऐलान की कई मुस्लिम सामाजिक संगठनों और धर्मगुरुओं ने सराहना की है। इसे मुस्लिम समाज की ओर से आतंक के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जहां सरकार और सेना ने मोर्चा संभाला है, वहीं सामाजिक और धार्मिक नेतृत्व भी अब खुलकर आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठा रहा है।