PM Modi Adampur Airbase visit: ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदमपुर एयरबेस का दौरा किया। मिग-29 और S-400 की मौजूदगी ने पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा को किया ध्वस्त। ओवैसी ने भी पाकिस्तान पर साधा निशाना।

PM Modi Adampur Airbase visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को पंजाब स्थित आदमपुर एयरबेस पहुंचे। यहां उन्होंने भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के जांबाज लड़ाकों और अधिकारियों से मुलाकात की। यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)’ के बाद बेहद खराब हालात बने हुए हैं।

7 मई को भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब देते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इसके बाद सीमा पर दोनों देशों के बीच जोरदार गोलीबारी और ड्रोन युद्ध चला, जो 10 मई को जाकर शांत हुआ।

जवानों का मनोबल बढ़ाया, पाकिस्तान को सीधा संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने आदमपुर पहुंचकर न केवल जवानों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि पाकिस्तान को सीधा संदेश भी दिया कि भारत किसी भी तरह के झूठे प्रचार या डराने की कोशिशों से डरने वाला नहीं है। जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी जवानों के बीच पहुंचे, ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ के नारे गूंज उठे। लेकिन जो बात सबसे ज्यादा चर्चा में रही, वो थी उनके पीछे नजर आया मिग-29 (MiG-29) लड़ाकू विमान और एस-400 (S-400) एयर डिफेंस सिस्टम।

पाकिस्तान के दावे हुए खारिज

पाकिस्तान की ओर से यह दावा किया गया था कि उसने आदमपुर एयरबेस को निशाना बनाकर एस-400 सिस्टम को नष्ट कर दिया। लेकिन मोदी के पीछे मिग-29 और एस-400 की स्पष्ट तस्वीरों ने इस झूठ को पूरी तरह से उजागर कर दिया। यह सिर्फ एक कूटनीतिक जवाब नहीं था बल्कि एक विजुअल स्ट्राइक था।

ओवैसी का तीखा कटाक्ष

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सोशल मीडिया पर पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। उन्होंने X (ट्विटर) पर पोस्ट किया कि क्या एस. शरीफ और ए. मुनीर अपने पट्टे पर लिए गए चीनी विमान को रहीम यार खान एयरबेस पर उतार पाएंगे? इस टिप्पणी के जरिए ओवैसी ने पाकिस्तान की सैन्य क्षमता और उसकी ‘चीनी निर्भरता’ पर सीधा कटाक्ष किया।

 

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पाकिस्तान के भ्रम को चीरता भारत का आत्मविश्वास

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा दिए गए अजीबो-गरीब बयानों—जैसे कि सोशल मीडिया पर सबूत, मदरसों को रक्षा की दूसरी पंक्ति बताना, या नाभिकीय धमकी—के बीच भारत की प्रतिक्रिया कहीं अधिक परिपक्व, ठोस और रणनीतिक रही। सबसे खास यह कि दोनों देशों के तनाव के बीच पूरा भारत एकजुट दिखा, विपक्ष भी पूरी तरह सरकार के साथ हर मौके पर मौजूद रहा।