सार
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों का सख्त एक्शन जारी है। इस बीच दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के ब्राइहार्ड कठपोरा इलाके में फिर एनकाउंटर हुआ। यहां कुछ आतंकवादियों के छुपे होने की सूचना के बाद घेराबंदी की गई थी।
श्रीनगर. दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के ब्राइहार्ड कठपोरा इलाके में बुधवार सुबह आतंकवादियों और सरकारी बलों के बीच मुठभेड़ हो गई। सूचना के बाद पुलिस और सेना की एक संयुक्त टीम ने ब्रायहार्ड कठपोरा में यह सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। जैसे ही सुरक्षा बलों की ज्वाइंट टीम संदिग्ध स्थान की ओर बढ़ी, छिपे हुए आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि एनकाउंटर में एक आतंकी मार गिराया गया है। यहां 2 से 3 आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। इससे पहले 24 जुलाई को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के रामपोरा इलाके में आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हो चुकी है।
गैर कश्मीरियों को निशाना बना रहे हैं आतंकवादी
जम्मू कश्मीर में सीमापार से ऑपरेट(पाकिस्तान) आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय(गैर मुस्लिम) के लोगों एवं प्रवासी कामगारों को टार्गेट बनाकर हमले किए जा रहे हैं। 2017 से अब तक इस तरह के हमलों में 28 मजदूरों की हत्या कर दी गई। यह जानकारी संसद में सांसद रीति पाठक, रमा देवी, गीता कोडा, दिलेश्वर कमैत, ज्योतिर्मय सिंह महतो, लॉकेट चटर्जी और नवनीत रवि राणा के एक सवाल के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने दी। सवाल में पूछा गया था कि क्या जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यकों और बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड एवं मध्य प्रदेश के प्रवासी मजदूरों की की हत्या की घटनाओं में वृद्धि हुई है? गृह राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार आतंकवादियों को लेकर कुछ भी सहन नहीं करेगी। अब जम्मू कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति काफी सुधरी है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है। वर्ष 2018 में 417 आतंकी हमले हुए थे, जबकि 2021 में सिर्फ 229 हुए। गृह राज्यमंत्री के अनुसार, जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
29 सालों में 46000 मौतें
एक मीडिया रिपोर्ट ने आफिसियल डेटा का हवाला देकर बताया कि पिछले 29 सालों में कश्मीर में 46000 लोग मारे गए हैं। इनमें 24000 आतंकी भी शामिल हैं। इन आतंकवादियों में ज्यादातर सीमा पर मारे गए। ये पाकिस्तान के रास्ते भारत में घुसने की कोशिश कर रहे थे। मारे गए आतंकवादियों में 11000 विदेशी थे। इन्हीं सालों के दौरान 7000 जवान भी शहीद हुए। आतंकवाद की भेंट जो 16000 आमजन चढ़े, उनमें 14 हजार मुसलमान थे।
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