सार

1971 के भारत-पाक युद्ध में एक युवा महिला, सहमत, ने असाधारण बहादुरी दिखाई। पाकिस्तानी सेना में घुसपैठ करके, उसने भारत को महत्वपूर्ण जानकारी दी जिसने युद्ध का रुख मोड़ दिया।

1971 War Heroine Untold Story of Female Spy Sehmat: पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने ऑपरेशन सिंधूर चलाकर आतंकवादियों का सफाया किया। इस दौरान 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाली सहमत की कहानी याद आती है। सहमत की कहानी 1969 में शुरू होती है। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली जम्मू-कश्मीर की एक छात्रा अपने पिता के आदेश पर घर लौटती है। उसका मकसद था अपने पिता की आखिरी इच्छा पूरी करना। उसके पिता चाहते थे कि वो देश की सेवा करे। अपनी बेटी की देशभक्ति देखकर, वो एक पाकिस्तानी सेना अधिकारी से शादी कर लेती है। भारत के लिए अपनी जान की बाजी लगाने को तैयार सहमत ने क्या-क्या किया, जानते हैं?

सहमत के पिता कौन थे?: सहमत के पिता भी एक जासूस थे। उनका नाम हरिंदर सिंह सिक्का था। वो भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (R&AW) के लिए काम करते थे। 1965 के युद्ध के दौरान, उन्होंने पाकिस्तान से कई अहम संदेश हासिल करके भारतीय एजेंसी को भेजे थे। हरिंदर को कैंसर था। बीमारी बढ़ने के कारण वो देश सेवा जारी नहीं रख पा रहे थे। इसलिए वो चाहते थे कि उनकी बेटी देश की सेवा करे।

पाकिस्तान में शादी: सिर्फ 20 साल की सहमत ग्रेजुएशन कर रही थी। शास्त्रीय नृत्य और वायलिन बजाना सीखी हुई सहमत ने अपने पिता की सलाह पर पढ़ाई छोड़कर जासूसी का काम शुरू किया। वो पाकिस्तान गईं और वहां की सेना के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए एक पाकिस्तानी सेना अधिकारी से शादी करनी पड़ी। सहमत ने पाकिस्तानी सेना अधिकारी इकबाल सैयद से शादी की। इकबाल सैयद के पिता भी सेना में अधिकारी थे। सहमत को सेना अधिकारियों की हर बात माननी पड़ती थी। उन्हें मोर्स कोड के जरिए जरूरी संदेश भेजना और रिसीव करना सिखाया गया था।

सेना में एंट्री: सहमत ने न सिर्फ अपने ससुराल वालों का, बल्कि सेना क्वार्टर में रहने वाले दूसरे परिवारों का भी भरोसा जीत लिया। डांस सीखी हुई सहमत ने सेना स्कूल में टीचर की नौकरी की। धीरे-धीरे सहमत पाकिस्तानी रक्षा और खुफिया विभागों में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं। उनके काम की सब तारीफ करते थे। उनकी वजह से उनके ससुर को प्रमोशन भी मिला।

1971 का युद्ध: 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध लगभग तय था। उस समय भारत के पास अपना एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत था। पाकिस्तान को इसकी जानकारी थी। वो बंगाल की खाड़ी में तैनात भारतीय युद्धपोतों को निशाना बनाने की योजना बना रहा था। भारतीय युद्धपोत को डुबाने का काम पाकिस्तान ने अपनी मिसाइल से लैस पनडुब्बी पीएनएस गाज़ी को सौंपा। सहमत को जैसे ही इसकी खबर मिली, वो हरकत में आ गईं। उन्होंने पीएनएस गाज़ी की लोकेशन भारत को भेज दी। सहमत की जानकारी के बाद, भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम बंदरगाह के पास पाकिस्तानी पनडुब्बी को डुबो दिया।

वापसी: सहमत का आगे का सफर आसान नहीं था। सहमत के परिवार के करीबी नौकर अब्दुल को सहमत पर शक हो गया। सहमत ने उसकी हत्या कर दी। फिर उसके पति इकबाल को सच्चाई पता चल गई। उसे सहमत की टीम ने नहीं छोड़ा। उस समय गर्भवती सहमत भारत लौट आईं। उन्होंने पंजाब के मलेरकोटला में बसने का फैसला किया। दिल्ली यूनिवर्सिटी में सहमत जिससे प्यार करती थीं, वो अब भी उनका इंतजार कर रहा था। लेकिन सहमत के हाथ खून से रंगे होने के कारण उन्होंने शादी से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने बेटे की परवरिश की जिम्मेदारी उठाई। सहमत का 2018 में निधन हो गया। उनका बेटा एक मिलिट्री ऑफिसर है।