RSS 100 Years: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है। 1925 में विजयदशमी के दिन संघ की स्थापना हुई थी। 2025-26 संघ का शताब्दी वर्ष है। नागपुर के रेशमबाग मैदान में मुख्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 21,000 स्वयंसेवक शामिल हुए।
RSS 100 Years: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज नागपुर में विजयादशमी उत्सव मना रहा है। इस साल यह उत्सव खास है क्योंकि संघ अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित आरएसएस विजयादशमी उत्सव में संगठन के संस्थापक के.बी. हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।
"अत्याचार और अन्याय से समाज को बचाने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया"
भागवत ने कहा कि यह वर्ष गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान के साढ़े तीन सौ साल पूरे होने का वर्ष है। गुरु ने अत्याचार और अन्याय से समाज को बचाने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे महान व्यक्तित्व को याद करना इस वर्ष का उद्देश्य है। उन्होंने महात्मा गांधी की जयंती का भी स्मरण किया और कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अमूल्य है। साथ ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती का भी उल्लेख किया, जो देशभक्ति और सेवा के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
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पहलगाम हमले पर क्या बोले मोहन भागवत?
मोहन भागवत ने अपने विजयादशमी संबोधन में पहलगाम की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम में 26 नागरिकों को धर्म पूछकर मार दिया गया, जिससे पूरे देश में दुख की लहर फैल गई। उन्होंने कहा कि हमारी सेना और सरकार ने इसका कड़ा जवाब दिया, और सभी को अपनी सुरक्षा के प्रति सतर्क और समर्थ रहना होगा। भागवत ने कहा कि इस घटना के बाद सामने आया कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं। उन्होंने अमेरिका के टैरिफ और विदेशों पर निर्भरता की चिंता जताते हुए स्वदेशी उत्पादों के उपयोग पर जोर दिया। उनका कहना था कि जनता में असंतोष प्रकट करना किसी के लाभ में नहीं होता और उथल-पुथल से किसी महान लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता।
उन्होंने पड़ोसी देशों में हो रही उथल-पुथल का भी जिक्र किया और कहा कि कुछ साल पहले तक ये क्षेत्र हमारे अपने देश के थे, इसलिए यह चिंता का विषय है। साथ ही उन्होंने नई पीढ़ी में देशभक्ति और आस्था के बढ़ते प्रवाह की सराहना की।
