सार

 यह मामला इंदौर के बॉम्बे अस्पताल का है, जहां ममता के 40 वर्षीय पति भर्ती हैं। वह ब्लैक फंगस का शिकार हो गए हैं, जिनकी आंख और जबड़े दर्द हो रहा है। लेकिन इंजेक्शन नहीं मिलने की वजह से उनका इलाज नहीं हो पा रहा है। थक हार के महिला ने वीडियो के जरिए जिम्मेदारों से कई सवाल किए हैं। 

इंदौर (मध्य प्रदेश). कोरोना वायरस की चपेट में आए संक्रमित मरीजों को अब ब्लैक फंगस जैसी खतरनाक बीमारी का सामना करना पड़ रहा है। जो लोगों के आंख-नाख और जबड़े खराब कर रही है। इसका संक्रमण रोकने के लिए जो इंजेक्शन मरीजो को लगाया जाता है वह ना तो अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में मिल पा रहा है और ना ही बाजारों में उपलब्ध है। इसी बीच इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती युवक की पत्नी की बेबसी सामने आई है, इंजेक्शन नहीं मिल पाने की वजह से उसने वीडियो के जरिए कलेक्टर, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री से अपने सुहाग को बचाने के लिए विनती की है। वह रोती कहती है कि  'मैं अपने पति को तिल-तिल मरता हुआ नहीं देखा सकती। वे दर्द से तड़प रहे हैं। जो मुझसे नहीं देखा जा रहा है, अगर कल तक उनका इलाज नहीं  हुआ तो वह हॉस्पिटल की छत से कूदकर अपनी जान दे देगी।

'पति को यूं तड़पते नहीं देख सकती'
दरअसल, यह मामला इंदौर के बॉम्बे अस्पताल का है, जहां ममता के 40 वर्षीय पति भर्ती हैं। वह ब्लैक फंगस का शिकार हो गए हैं, जिनकी आंख और जबड़े दर्द हो रहा है। लेकिन इंजेक्शन नहीं मिलने की वजह से उनका इलाज नहीं हो पा रहा है। थक हार के महिला ने वीडियो के जरिए जिम्मेदारों से कई सवाल किए हैं। साथ ही बताया है कि लोग किस तरह से तड़प रहे हैं। 

 'इंजेक्शन नहीं मिला तो अस्पताल की छत से कूद जाऊंगी'
महिला रोती हुई कहती है कि मैं  बॉम्बे अस्पताल से ममता बोल रही हूं। मेरे पति के आंख में दर्द है, जबड़ों में भी दर्द हो रहा है, उनका यह दर्द मुझसे देखा नहीं जाता है। आखिर उनको लेकर जाऊं तो कहां जाऊं। इंजेक्शन न तो अस्पताल में मिल रहे हैं और न ही मेडिकल पर मिल रहे हैं। मेरे पास मरने के अलावा कोई और दूसरा रास्ता नहीं बचा है। अगर उनको इलाज नहीं मिला तो कल शाम तक अस्पताल की छत से कूद जाऊंगी। कंपनी में बात करते हैं तो वह कहते हैं कि  प्रोडक्शन हो गया है। आपको अस्पताल में मिल जाएगा। वहां जाते हैं तो कहते हैं कि कंपनी प्रोडक्शन नहीं कर रही है हम क्या करें।

कलेक्टर-मुख्यमंत्री रोते हुए की विनती
महिला ने कहा-यह मेरी अकेली कहानी नहीं है, अस्पताल में मेरे जैसे और कई लोग हैं जो इस इंजेक्शन के लिए दर-दर की ठोंकरे खाने के लिए मजबूर हैं। उनके परिवार वालों की मानसिक स्थिति मेरी जैसी है। इसलिए माननीय कलेक्टर, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री महोदय आपसे विनती करतू हूं की इसे हल्के में मत लीजिएगा। यह बहुत गंभीर विषय है, प्लीज आप लोग इस पर ध्यान दीजिए। आपके लिए समय की कीमत कुछ और होगी, लेकिन हमारे लिए समय की कीमत जिंदगी और मौत है। आप हमारी बेबसी समझिए और जितना जल्दी हो सके, अस्पतालों में इंजेक्शन उपलब्ध करवाएं।