सार
पुरुष को महिला से ज़्यादा कमाई करनी चाहिए, ये एक पुराना नियम सा रहा है। पितृसत्तात्मक समाज में इसे माना भी जाता रहा है। अब ज़्यादातर क्षेत्रों में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। पुरुषों के बराबर काम कर रही हैं। और उनके बराबर वेतन भी मांग रही हैं। फिल्मों में हीरो-हीरोइन की फीस के बीच का अंतर अक्सर चर्चा में रहता है। ये सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है। हर क्षेत्र में महिलाएं अपने काम के हिसाब से वेतन मांग रही हैं। ये महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनाने में मददगार है। लेकिन एक अध्ययन के मुताबिक इसका असर वैवाहिक जीवन पर पड़ रहा है।
पहले शादी के वक्त लड़के और लड़की की सैलरी पूछी जाती थी। अगर लड़की ज़्यादा कमाती होती, तो रिश्ता आगे नहीं बढ़ता था। अब ऐसा नहीं है। लड़का-लड़की दोनों बराबर कमा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि घर चलाने के लिए किसी एक का कमाना ज़रूरी है, किसकी सैलरी ज़्यादा है, ये मायने नहीं रखता, बस पति-पत्नी में तालमेल होना चाहिए। लेकिन अध्ययन कुछ और ही कहता है। अध्ययन के मुताबिक, रिश्ते को मज़बूत बनाने में सैलरी भी अहम भूमिका निभाती है।
अध्ययन के मुताबिक, पति से ज़्यादा कमाने वाली पत्नियों की संख्या दुनियाभर में बढ़ रही है। अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों में अध्ययन करने वाली टीम ने पाया कि इसका मानसिक स्वास्थ्य पर कैसा असर पड़ता है। 2000 के दशक से पति से ज़्यादा कमाने वाली पत्नियों की संख्या में 25% की बढ़ोतरी हुई है। डरहम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने स्वीडन में रहने वाले विपरीत लिंगी जोड़ों पर अध्ययन किया। 2021 में शादी करने वाले जोड़ों पर ध्यान केंद्रित किया गया। औसतन 37 साल के जोड़ों पर 10 साल तक अध्ययन चला। इस दौरान जोड़ों के बीच होने वाले उतार-चढ़ाव से लेकर तलाक तक, शोधकर्ताओं ने चिंताजनक बातें देखीं। जब पत्नी अपने पति से ज़्यादा कमाती है, तो दोनों पार्टनर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करते हैं, खासकर पति। महिलाएं 8% मानसिक समस्याओं का सामना करती हैं, जबकि पुरुष 11%।
पत्नी से कम कमाने वाले पति नशे से जुड़ी बीमारियों का शिकार ज़्यादा होते हैं। वहीं पत्नी ज़्यादा तनाव में रहती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कमाई और मानसिक स्वास्थ्य के बीच सकारात्मक संबंध है। कमाई बढ़ने पर मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। ज़्यादा पैसा आने से जीवनशैली बेहतर होती है। इससे रोज़मर्रा की ज़िंदगी आसान हो जाती है। लेकिन जब सिर्फ पत्नी की कमाई को देखा जाता है, तो ये नकारात्मक हो जाता है। पुरुष के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ता है। ये सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि पुरुषों की ताकत पर भी असर डालता है। जब पत्नी उनसे ज़्यादा कमाने लगती है, तो पुरुष थकने लगते हैं। उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है। असुरक्षा की भावना उन्हें नशे की ओर धकेलती है। वहीं पत्नी को पति से सहारा नहीं मिलता। इससे महिलाएं मानसिक रूप से कमज़ोर हो जाती हैं। वे तनाव में आ जाती हैं।