सार
बहुत से पैरेंट्स अपने बच्चे को किसी चीज के बारे में समझाने के लिए अक्सर डांटन, मारने या डराने की कोशिश करता है। बहुत से पैरेंट्स आझ भी बच्चे को इस तरह से डराते हैं कि खाना नहीं खाओगे तो भूत आ जाएगा, बच्चे भूत के डर से खाना तो खा लेते हैं, लेकिन भूत का डर जो उनके दिमाग में बैठता है, वो उनके मन में डर को पौदा करता है। माता-पिता होने के नाते आपको आपके बच्चे को डराना या धमकी नहीं देना है, इसके बदले आप उन्हें प्यार से समझाएं। आइए जानते हैं कि आपके डराने धमकाने के कितना बुरा अशर आपके बच्चे के दीमाग पर पड़ता है।
भय का माहौल पैदा होता है:
- बच्चे डरने लगते हैं और उनकी स्वाभाविकता खत्म हो जाती है।
- डर के कारण वे अपनी भावनाएं और विचार खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते।
आत्मविश्वास की कमी:
- बार-बार धमकी मिलने से बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं।
- उनका आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है, और वे निर्णय लेने में झिझकने लगते हैं।
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नकारात्मक व्यवहार:
- डर और धमकी से बच्चों के मन में गुस्सा और विद्रोह पैदा हो सकता है।
- वे चुपके से गलत काम करना सीख सकते हैं, क्योंकि वे सजा के डर से सच नहीं बताते।
पैरेंट्स से दूरी:
- बच्चे को धमकी देने से माता-पिता और बच्चों के बीच का रिश्ता कमजोर हो सकता है।
- वे माता-पिता को एक डरावनी या कठोर छवि के रूप में देखने लगते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर:
- लगातार धमकाने या डराने से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- बच्चे में तनाव, चिंता, और डिप्रेशन जैसी समस्याएं विकसित हो सकती हैं।
बच्चे की सीखने की प्रक्रिया पर असर:
- डर के माहौल में बच्चा नई चीजें सीखने और सवाल पूछने से कतराने लगता है।
- वह सिर्फ डर से आज्ञाकारी बनने की कोशिश करता है, लेकिन अंदर से कुछ नया समझने का आत्मविश्वास नहीं रहता।
3 शब्द सुनने के लिए तरस रहा है आपका बच्चा, 90% पैरेंट्स नहीं जानते ये बात!
क्या करें:
- धमकी देने के बजाय, प्यार और सहानुभूति से बात करें।
- बच्चे के साथ समस्या का हल खोजें और उन्हें समझने का मौका दें।
- सकारात्मक अनुशासन अपनाएं ताकि बच्चा आत्मविश्वास से भरा और सुरक्षित महसूस करें।